पर्यावरण को बचाने के लिए किसान न लगाएं पराली को आग : सतनाम सिंह
आदर्श सोशल वेलफेयर एजुकेशन सोसायटी के प्रधान सतनाम सिंह ने पराली न जलाने के संबंध में लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि पराली जलाने से न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है बल्कि ऐसा करने से जमीन की उर्वरा शक्ति भी घट रही है।
संवाद सहयोगी, गुरदासपुर : आदर्श सोशल वेलफेयर एजुकेशन सोसायटी के प्रधान सतनाम सिंह ने पराली न जलाने के संबंध में लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि पराली जलाने से न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि ऐसा करने से जमीन की उर्वरा शक्ति भी घट रही है। प्रदेश सरकार ने पराली जलाने पर रोक लगा रखी है। बावजूद इसके किसान खेतों में पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जिले में बड़े पैमाने पर धान और गन्ने की खेती होती है। इस समय धान की कटाई का कार्य चल रहा है। बड़े किसान धान की कटाई मशीन से कराते हैं। कटाई के बाद जो अवशेष बचता है, उसे किसान जमा करने के बजाय खेत में ही जला देते हैं। ऐसा करने से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। साथ ही भूमि में मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। किसान के मित्र कहे जाने वाले केचुएं भी जलकर नष्ट हो जाते हैं। इसके बावजूद आसपास मौजूद पौधों को भी क्षति पहुंचती है।
उन्होंने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पैदावार में भी 20 से 30 प्रतिशत कमी आती है। पराली को जलाने से जहरीला धुआं फैलता है। कार्बन मोनोआक्साइड और कार्बन डाई आक्साइड जैसी गैसों से आसमान में धुंध बनी रहती है। इससे आंख और सांस संबंधी बीमारियां होने का खतरा रहता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि पराली को ना चलाएं व प्रदूषण रहित वातावरण होने का सहयोग दें।