शहीद मनदीप कुमार को किया नमन
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा सेक्टर में आंतकियों से लड़ते हुए शहादत का जाम पीने वाले सीआरपीएफ की 182 बटालियन के कांस्टेबल मनदीप कुमार का तीसरा श्रद्धांजलि समारोह उनके निवास स्थान गांव खुदादपुर में बुधवार को हुआ।
संवाद सूत्र, बहरामपुर : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा सेक्टर में आंतकियों से लड़ते हुए शहादत का जाम पीने वाले सीआरपीएफ की 182 बटालियन के कांस्टेबल मनदीप कुमार का तीसरा श्रद्धांजलि समारोह उनके निवास स्थान गांव खुदादपुर में बुधवार को हुआ। पुलवामा हमले में शहीद हुए कांस्टेबल मनिदर सिंह के पिता सतपाल अत्री की अध्यक्षता में हुए समारोह में शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए।
शहीद की माता कुंती देवी, पिता नानक चंद, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम शहीद की माता कुंती देवी ने शहीद बेटे मनदीप कुमार के चित्र के समक्ष ज्योति प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का आगाज किया। कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि शहीद कांस्टेबल मनदीप सिंह जैसे जांबाजों के अमिट बलिदानों की बदौलत ही देश की सरहदें महफूज हैं। इनकी शौर्य गाथाएं देश की भावी पीढ़ी में राष्ट्र पर मर मिटने का जज्बा पैदा करती हैं। उन्होंने कहा कि जब तक मनदीप जैसे बहादुर सैनिक सीमा पर तैनात है, कोई भी दुश्मन हमारे देश की एकता व अखंडता को भंग करने की हिमाकत नहीं कर सकता। परिषद की ओर से शहीद मनदीप के माता-पिता को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर पूर्व सरपंच सोहन सिंह, प्यारा सिंह, मनजीत सिंह, ओंकार सिंह आदि उपस्थित थे। मरणोपरांत राष्ट्रपति ने किया था पुलिस वीरता पदक से सम्मानित
कुंवर रविंदर विक्की ने बताया कि मनदीप अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। घर पर मां उनकी शादी के सपने संजो रही थी, मगर मनदीप ने बहादुरी से पाक प्रशिक्षित आतंकियों का मुकाबला करते हुए सीने पर गोली खाकर अपना सैन्य धर्म निभा कर वीरगति को दुल्हन के रूप में गले लगा लिया। मनदीप के शौर्य व अदम्य साहस को देखते हुए देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने उन्हें मरणोपरांत पुलिस वीरता पदक से सम्मानित कर इनकी शहादत को नमन किया। असहनीय होता है शहादत का दर्द : सतपाल अत्री
पुलवामा हमले के शहीद कांस्टेबल मनिदर सिंह के पिता सतपाल अत्री ने कहा कि शहादत का दर्द असहनीय होता है। जिस घर का चिराग वतन पर कुर्बान हो जाता है, वो परिवार जिदा लाश बनकर रह जाता है। उन्होंने कहा कि शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद ने जिस तरह इन शहीद परिवारों को संभालते हुए इन्हें पैरों पर खड़ा किया है, इससे इन परिवारों का मनोबल ऊंचा हुआ है।