शहीद मेजर बलविंदर सिंह को किया नमन

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लड़ते हुए शहादत का जाम पीने वाले सेना की 313 फील्ड रेजीमेंट के सेना मेडल विजेता मेजर बलविदर सिंह बाजवा का 21वां श्रद्धांजलि समारोह शहीद के नाम पर बने पार्क में आयोजित किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 03:21 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 03:21 PM (IST)
शहीद मेजर बलविंदर सिंह को किया नमन
शहीद मेजर बलविंदर सिंह को किया नमन

जागरण संवाददाता, गुरदासपुर : जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लड़ते हुए शहादत का जाम पीने वाले सेना की 313 फील्ड रेजीमेंट के सेना मेडल विजेता मेजर बलविदर सिंह बाजवा का 21वां श्रद्धांजलि समारोह शहीद के नाम पर बने पार्क में आयोजित किया गया। इसमें शहीद की पत्नी सहायक आबकारी कमिश्नर (एईटीसी) राजिवंदर कौर बाजवा, बेटा कर्ण बाजवा, चाचा होम गार्ड के पूर्व जिला कमांडेट हरदीप सिंह बाजवा, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविदर सिंह विक्की, शहीद लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिदर सिंह, शहीद सिपाही जतिदर कुमार के पिता राजेश कुमार, समाज सेवक इंद्रजीत बाजवा, एक्साइज अधिकारी राजिदर कनवर व क्लर्क सतनाम सिंह, व्यापार मंडल के जिला प्रधान दर्शन महाजन, सीनियर सिटीजन क्लब के प्रधान फ्लाइंग अफसर दर्शन सिंह, ग्रीन एजुकेशन एनजीओ के प्रधान जनक राज शर्मा आदि ने विशेष तौर पर शामिल होकर शहीद मेजर बीएस बाजवा को श्रद्धांजलि अर्पित की।

सर्वप्रथम शहीद की पत्नी एईटीसी राजविदर कौर बाजवा व अन्य मेहमानों ने शहीद की प्रतिमा को माल्यार्पण व रीथ चढ़ाकर कार्यक्रम का आगाज किया। श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करती हुई राजविदर कौर बाजवा ने कहा कि जिस घर का चिराग देश की बलिवेदी पर कुर्बान हो जाता है, उस परिवार के लिए उसकी शहादत का दर्द असहनीय होता है, वहीं समूचे परिवार को उसके बलिदान पर गर्व भी होता है। उन्होंने कहा कि उनके पति संत रूप व जमीन से जुड़ी हुई शख्सियत थे। उनके साथ जीवन व्यतीत करना परिवार के लिए फूलों की सेज के समान था, मगर उनकी शहादत के बाद उनका पूरा जीवन ही बदल गया। मगर ससुराल व मायके वालों ने उन्हें संभाला तथा ससुर इकबाल सिंह ने उनके शहीद पति की पगड़ी को उनके सिर पर रखते हुए कहा कि आज से वह बाजवा परिवार की शान हैं। आज के बाद वह उन्हें अपने शहीद बेटे के नाम से ही पुकारेंगे। शहीद की पत्नी ने कहा कि उनके दोनों बेटे गौरवप्रीत बाजवा व कर्ण बाजवा उनकी ताकत है, जो आज भी अपने शहीद पिता के दिखाए पदचिन्हों पर चल रहे हैं। इस मौके पर सुखविदर कौर, एएसआइ जेएस बाजवा, बलविदर सिंह, कमलजीत सिंह, गुरदेव सिंह, सुरिदर पाल व हरमिदर सिंह, एचसी सर्वजीत कौर, अनीता कुमारी, अशोक शर्मा, रमेश गिल, बाबा गुरबचन सिंह आदि उपस्थित थे। दुख है आज भी लोग शहीद के पार्क को फिश पार्क के नाम से जानते हैं

राजविदर कौर बाजवा ने कहा कि बेशक इस पार्क में उनके शहीद पति की प्रतिमा लगी है और मुख्य गेट पर उनके पति का नाम लिखा हुआ है। मगर फिर भी लोग इस पार्क को उसके पुराने नाम फिश पार्क के नाम से जानते हैं, जिससे उनकी भावनाएं आहत होती हैं। इस लिए सरकार व प्रशासन को चाहिए कि कुछ ऐसा प्रयास करे कि लोग इस पार्क के पुराने नाम को भूलकर इसे एक शहीदी पार्क के नाम से जाने। शहीद बेटा बोला-गर्व है पिता की शहादत पर

शहीद मेजर बीएस बाजवा के बेटे कर्ण बाजवा ने कहा कि बेशक उन्हें अपने पिता को खोने का दुख बहुत है, मगर उनकी शहादत पर गर्व भी है। उन्होंने कहा कि शहीद परिवार को कभी भी तरस की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। इससे परिवार कमजोर होता है, बल्कि हमेशा सारे देश को शहीद परिवार पर गर्व होना चाहिए। सरहद पर सैनिक जागता है, तभी देश चैन से सोता है : कुंवर विक्की

कुंवर रविदर सिंह विक्की ने कहा कि देश का सैनिक कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी निभाते हुए सरहद पर रात भर जागता है ताकि देशवासी चैन की नींद सो सकें। देशवासियों को भी चाहिए कि देश के वीर सैनिकों व उनके परिजनों को उचित मान-सम्मान देकर उनकी शहादत की गरिमा को बहाल रखें। पार्क में शहीद की पत्नी द्वारा शहीद पति की याद में पौधारोपण भी किया गया। इस मौके पर एक्साइज विभाग से जुड़े पुलिस कर्मियों ने भी मेजर बाजवा की शहादत को नमन किया।

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