श्री राम तलाई मंदिर में हो रहा सप्तशती का पाठ

सनातन परंपरा से जुड़े भारतवर्ष में मां शक्ति की आराधना के लिए प्राचीन काल से ही चैत्र तथा शारदीय नवरात्र हर्षोल्लास से मनाने की परंपरा चली आ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 03:42 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 03:42 PM (IST)
श्री राम तलाई मंदिर में हो रहा सप्तशती का पाठ
श्री राम तलाई मंदिर में हो रहा सप्तशती का पाठ

नरेश भनोट, बटाला

सनातन परंपरा से जुड़े भारतवर्ष में मां शक्ति की आराधना के लिए प्राचीन काल से ही चैत्र तथा शारदीय नवरात्र हर्षोल्लास से मनाने की परंपरा चली आ रही है। इन नवरात्र में घरों तथा मंदिरों में भगवती मां की अखंड ज्योत जलाकर व्रत पालन करते हुए प्रत्येक प्रकार के शुभ कार्य करने को तरजीह दी जाती है। ऐसा ही भव्य आयोजन श्री राम तलाई मंदिर में महंत गुड्डू बाबा द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इसमें रोजाना मंदिर में होने वाली पूजा-अर्चना के बाद ऋषि मारकंडे जी द्वारा रचित दुर्गा सप्तशती का पाठ सुबह साढ़े आठ बजे से लेकर दोपहर डेढ़ बजे तक किया जाता है।

इसमें मंदिर के महंत के साथ-साथ विद्वान पंडित मिलकर संस्कृत में सप्तशती का उच्चारण करते हुए मां भगवती के विभिन्न स्वरूपों की आराधना करते हैं। 5

पंजाब में अष्टमी पर ही व्रतों का पारण बड़ी विडंबना : महंत गुड्डू बाबा

संस्कृत के प्रख्यात विद्वान महंत गुड्डू बाबा ने बताया कि नवरात्र नौ दिन के होते हैं। इनमें महामाई के विभिन्न नौ स्वरूप की पूजाअर्चना की जाती है। इसमें प्रथम शैलपुत्री, द्वितीय ब्रह्मचारिणी, तृतीय चंद्रघटा, चतुर्थ कूष्मांडा, पंचम स्कंदमाता, छठी कात्यायनी, सप्तम कालरात्रि, अष्टम महागौरी तथा नौमी सिद्धिदात्री हैं। व्रतधारी श्रद्धालुओं को इन नौ दिन व्रत का पालन करते हुए नवमी तिथि समाप्त और दशमी तिथि की शुरुआत में अपने व्रतों का पारण करना चाहिए। घर में पूजाअर्चना के लिए उगाई गई खेत्री को बहते हुए जल में प्रवाहित अथवा गाय को खिला देना चाहिए। हालांकि ज्ञान के अभाव के कारण अधिकतर श्रद्धालु अष्टमी तिथि को ही सुबह यह कार्य कर व्रत से निवृत्त हो जाते हैं। इस कारण वे मां गौरी और सिद्धिदात्री के कृपा के पात्र बनने से रह जाते हैं। इसके लिए बड़े स्तर पर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।

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