सिविल अस्पताल में सफाई कर्मचारियों के हवाले मरीजों की जान

सिविल अस्पताल में डाक्टरों की लापरवाही के कारण मरीजों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 06:29 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 06:29 PM (IST)
सिविल अस्पताल में सफाई कर्मचारियों के हवाले मरीजों की जान
सिविल अस्पताल में सफाई कर्मचारियों के हवाले मरीजों की जान

राजिदर कुमार, गुरदासपुर

सिविल अस्पताल में डाक्टरों की लापरवाही के कारण मरीजों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है। आठवीं पास सफाई कर्मचारी इमरजेंसी वार्ड में गंभीर मरीजों का उपचार करता है और ड्यूटी पर तैनात डाक्टर अपने रूम में बैठकर आराम फरमाते हैं। मरीज को सफाई कर्मचारी के हवाले रखा जाता है। सफाई कर्मचारी मरीज के माथे पर टांके लगाने के साथ मरहम पट्टी भी करते हैं। रविवार को भी सिविल अस्पताल में यह नजारा दिखा।

रविवार को गांव पखोवाल कोठे निवासी बलविदर कुमार पुत्र मंगा राम की बाइक को बब्बेहाली अड्डे में तेज रफ्तार कार ने पीछे से जोरदार टक्कर मार दी। हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे आसपास के लोगों व पारिवारिक सदस्यों ने सिविल अस्पताल में उपचार के लिए सीधा इमरजेंसी वार्ड में ले गए। सुबह अस्पताल की सफाई करने वाला एक कर्मी इमरजेंसी वार्ड में मरीज का इलाज करने के लिए खड़ा था। उसने मरीज को स्ट्रेचर पर लिटाया और माथे पर टांके लगाने शुरू कर दिए। मरीज के माथे पर चार टांके लगाने के बाद सफाई कर्मचारी शरीर के अन्य जगहों पर भी दवा लगाने लगा। करीब 15 मिनट तक मरीज का उपचार किया। जिला अस्पताल में यह नजारा आए दिन देखने को मिलता है, जब निजी हित में अप्रशिक्षित हाथों में घायलों का उपचार सौंप दिया जाता है। हैरानी की बात है कि डाक्टर ने एक बार भी जाकर यह चेक नहीं किया कि मरीज का उपचार सही हुआ है या नहीं।

वैसे तो जिला स्वास्थ्य अधिकारी दावा करते हैं कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज स्पेशलिस्ट डाक्टरों द्वारा किया जाता है, लेकिन सिविल अस्पताल में की गई डाक्टर की लापरवाही ने सारी पोल खोल कर रख दी है। हालांकि सिविल अस्पताल में यह पहली बार नहीं हुआ है, जितने भी हादसे या झगड़े में घायल लोग अस्पताल में आते हैं इमरजेंसी में उनका उपचार सफाई कर्मचारी ही करते हैं। यह मानो कि इमरजेंसी वार्ड का जिम्मा सफाई कर्मचारियों ने संभाल रखा है। उधर, मामले संबंधी सिविल सर्जन का कहना है कि वे मामले की जांच करवाएंगे।

गौर हो कि वैसे तो छठे पे कमिशन के विरोध में डाक्टरों की हड़ताल चल रही है। केवल इमरजेंसी सेवाएं ही खोली गई हैं। एक डाक्टर की इमरजेंसी में पक्की ड्यूटी लगा रखी है, लेकिन डाक्टर एक नाम का ही बैठा हुआ है। इमरजेंसी वार्ड में आने वाले हर मरीज की जांच तो सफाई कर्मचारी व ट्रेनर ही कर रहे हैं। डाक्टर एसी वाले कमरे में बैठकर ठंडी हवा ले रहे हैं। न जाने रोज कितनी जिदगियों से हो रहा खिलवाड़

सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का दम भरने वाली प्रदेश सरकार अगर जिला अस्पताल की तरफ थोड़ा ध्यान दे तो जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं सुधर सकेंगी। नहीं तो ऐसे ही न जानें कितनी जिदगियों के साथ खिलवाड़ होता रहेगा। पहले भी कई बार प्रेस के माध्यम से जिला स्वास्थ्य अधिकारियों व सरकार के ध्यान में ऐसे मामले लाए गए हैं, लेकिन कभी भी कार्रवाई नहीं हुई। यही कारण है कि लापरवाही का दौर लगातार जारी है। --कोट्स

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लापरवाही बरतने वाले डाक्टर के खिलाफ होगी कार्रवाई : सीएस

सिविल सर्जन डा. हरभजन राम मांडी का कहना है कि मामला उनके ध्यान में आ गया है। यह बड़ी लापरवाही है। मामले की जांच करवाकर आरोपित पाए जाने पर ड्यूटी पर तैनात डाक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 27

मरीजों की सेहत से खिलवाड़ करने नहीं दी जाएगी : डीसी

डीसी मोहम्मद इशफाक का कहना है कि मरीजों की सेहत से खिलवाड़ करने की किसी को भी अनुमति नहीं दी जाएगी। सिविल अस्पताल में अगर सफाई कर्मचारी गंभीर मरीजों का इलाज कर रहे हैं तो यह बहुत बड़ी लापरवाही है। इसकी गहनता से जांच करवाई जाएगी। लापरवाही बरतने वाले डाक्टर को बख्शा नहीं जाएगा।

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