दीनानगर के शाही महल की मरम्मत कर जनता के लिए खोले
पंजाब हेरिटेज एंड कल्चरल सोसायटी बटाला ने पंजाब सरकार से दीनानगर में महाराजा रणजीत सिंह के खंडहर हो चुके शाही महल को विलुप्त होने से बचाने की मांग की है।
संवाद सहयोगी, बटाला : पंजाब हेरिटेज एंड कल्चरल सोसायटी बटाला ने पंजाब सरकार से दीनानगर में महाराजा रणजीत सिंह के खंडहर हो चुके शाही महल को विलुप्त होने से बचाने की मांग की है। शाही महल की मरम्मत करके उसको आम जनता के लिए खोलने की अपील भी की।
सोसायटी के अध्यक्ष बलदेव सिंह रंधावा, महासचिव कुलविदर सिंह लाडी जस्सल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बलविदर सिंह पंजगराईयां, हरबख्श सिंह, जसबीर सिंह और अनुराग मेहता ने कहा कि दीनानगर महाराजा रणजीत सिंह की गर्मियों की राजधानी थी। उन्होंने यहां एक शाही महल बनाया था। यह शाही महल महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल का एक अनमोल प्रतीक है। इस महल में शेर-ए-पंजाब द्वारा कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए थे। सोसायटी के अध्यक्ष बलदेव सिंह रंधावा ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से दीनानगर का यह महल बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। महाराजा रणजीत सिंह अपनी मृत्यु से एक साल पहले 1838 तक हर साल इस महल में गर्मी के माह बिताते थे। जब 1838 में महाराजा ने दीनानगर के महल में ब्रिटिश अधिकारियों के साथ एक बैठक की, तो इसका उल्लेख ब्रिटिश अधिकारी डब्ल्यू.जी. ओसबोर्न ने अपनी पुस्तक में ऐसा ही किया है। इस अंग्रेजी अधिकारी ने महाराजा के शाही दरबार के वैभव का बहुत अच्छा वर्णन किया है।
बलदेव सिंह रंधावा ने भी डीसी से मांग की कि इस शाही महल के आसपास काटी जा रही कालोनी को रोका जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि शाही महल की इमारत को कोई नुकसान न पहुंचे। अगर यह शाही महल पंजाब सरकार द्वारा संरक्षित ऐतिहासिक इमारत है तो कालोनी को क्यों काटा जा रहा है इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल शाही महल की दीवारें बनी हुई हैं और जिला प्रशासन और पंजाब सरकार को इसकी मरम्मत करनी चाहिए। इसकी भव्यता को बहाल करना चाहिए। इस महल को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए और जनता के लिए खोला जाना चाहिए।
दूसरी ओर एसजीपीसी सदस्य जत्थेदार गुरनाम सिंह जस्सल ने हाल ही में इस संबंध में शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष बीबी जागीर कौर को एक ज्ञापन सौंपकर कहा था कि दीनानगर का शाही महल सिख समुदाय का एक अनमोल प्रतीक है। पंजाब सरकार इस अत्यंत महत्वपूर्ण स्मारक को संरक्षित करने की इच्छुक है। जत्थेदार जस्सल ने कहा कि इन राष्ट्रीय प्रतीकों के संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन बनाया जाएगा।