आइसोलेशन वार्ड में पाजिटिव मरीजों की सेवा में डटी नर्स नेहा
कोरोना महामारी के इस दौर में नर्से जान पर खेलकर मरीजों का इलाज करने में मदद कर रही हैं।
राजिदर कुमार, गुरदासपुर
कोरोना महामारी के इस दौर में नर्से जान पर खेलकर मरीजों का इलाज करने में मदद कर रही हैं। परिवार से दूर रहकर अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर इनकी सेवा को याद करना जरूरी है, क्योंकि बिना नर्सिग स्टाफ के इस लड़ाई को लड़ना मुमकिन नहीं है।
गुरदासपुर के आरपी अरोड़ा अस्पताल में बने कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड में तैनात नर्स नेहा संक्रमित मरीजों को महामारी से लड़ने के लिए मोटिवेट करती हैं। वहीं उनकी देखभाल में हर समय तैनात है। नेहा का कहना है कि हमारे पेशे में मरीज की सेवा करना ही पहला धर्म है। इसलिए वह अपने इस धर्म को पूरी ईमानदारी से निभाने का प्रयास कर रही है। आइसोलशन वार्ड में इस समय करीब 15 संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है। नेहा ने बताया कि वह काफी समय से आइसोलेशन वार्ड में पाजिटिव मरीजों की देखभाल में ड्यूटी दे रही है। संक्रमित मरीजों के पास भले ही वह पीपीई किट पहनकर ड्यूटी देती हैं, मगर जब वह देर शाम को घर जाती है तो फ्रेश होने के बाद सीधे अपने कमरे में चली जाती है। वह अपने परिजनों से घर में भी दूर रहती हैं। पारिवारिक सदस्य उसे कमरे में ही दूर से खाना देकर चले जाते हैं। परिवार से दूर बैठना तकलीफ तो देता है, लेकिन इस महामारी के दौर में अपनी फैमिली को बचाना भी उसका प्रथम धर्म है। नेहा ने बताया कि उनके पिता शुगर मिल पनियाड़ में सरकारी नौकरी करते हैं। मिल के क्वार्टरों में ही उनकी पूरी फैमिली रहती है। मां और पिता दिन में कई बार उसे फोन कर हालचाल पूछते रहते हैं। वहीं उसे मोटिवेट भी करते हैं। हंसी-मजाक से मरीजों की टेंशन की जा रही दूर
नर्स नेहा ने बताया कि कई मरीज ऐसे भी आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हुए हैं, जो संक्रमित पाए जाने के बाद काफी परेशानी में रहते थे। ऐसे मरीजों को वह मोटिवेट कर खुश रखने का प्रयास करती है। उनके साथ फैमिली को लेकर बातचीत कर तथा हंसी मजाक से उनकी टेंशन को दूर की जा रही है। वह मरीजों की डाइट का खास ध्यान रखती है। उन्हें कब खाना देना है और कब दवाई खिलानी है, सभी चीजों का टाइम निर्धारित कर लिस्ट बना कर रखी गई है। परिवार ने दी हिम्मत, अब नहीं रहा कोई डर
नेहा ने बताया कि जब उसकी ड्यूटी पहली बार आइसोलेशन वार्ड में लगी तो वह काफी घबरा गई। क्योंकि कोरोना संक्रमित मरीजों की मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा था। इससे वह काफी भयभीत थी, मगर परिवार ने हिम्मत दी तो वह अपनी ड्यूटी पर डट गई। धीरे-धीरे कर तारीखें बदलती गई। परिवार ने उसे हिम्मत से ड्यूटी देने की प्रेरणा दी। अब वह अब बिना किसी डर के संक्रमित मरीजों के पास बैठकर उनका इलाज कर रही है।