कोरोना को हराकर फिर मरीजों का बनी सहारा
कोरोना काल में डाक्टर और नर्स ही लोगों का अंतिम सराहा बने हुए हैं।
संजय तिवारी, बटाला
कोरोना काल में डाक्टर और नर्स ही लोगों का अंतिम सराहा बने हुए हैं। इस भयानक वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज और उनकी देखभाल करने में नर्सो की जिम्मेदारी काफी अहम है। इस समय जैसे ही कोई व्यक्ति कोरोना पाजिटिव हो जाता है तो उसके घर वाले भी उससे दूर हो जाते हैं, लेकिन अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों का नर्से देखभाल करती हैं। ऐसे में उन्हें खुद भी संक्रमित होने का खतरा रहता है, लेकिन फिर भी अपनी जिम्मेदारी को सबसे ऊपर मानते हैं अच्छे से निभा रही हैं। इन्हीं में एक नर्स हैं सिविल अस्पताल बटाला की नर्स जगदेव कौर। अस्पताल ड्यूटी करते हुए ये पिछले माह कोरोना पाजिटिव हो गई थी, लेकिन अब कोरोना को हराकर फिर मरीजों का सहारा बन गई हैं।
जगदेव कौर कोरोना पाजिटिव मरीजों की सेवा के साथ-साथ अपनी ड्यूटी को बखूबी निभा रही हैं। वे दो सालों से लगातार सिविल अस्पताल में अपनी ड्यूटी दे रही हैं। सिविल में जब से आइसोलेशन वार्ड बना, तब से वे वहा पर सेवाएं दे रही हैं। उन्होंने बताया कि बताया कि मरीजों की देखभाल करना उनका फर्ज है। जब तक वे इस ड्यूटी में तैनात हैं वे सिविल अस्पताल में आने वाले सभी मरीजों की देखरेख करेंगी।
जगदेव कौर ने बताया कि अप्रैल में उनकी तबीयत कुछ खराब हुई थी। उन्होंने 12 अप्रैल 2021 को टेस्ट कराया तो रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आई। इसके बाद वे होम क्वारंटाइन हो गई। उनके दो बेटे है। एक बेटा 20 वर्ष व एक 18 वर्ष का है। वे अपने पति व दोनों बच्चों के साथ घर पर रहती हैं, मगर कोरोना पाजिटिव होने के बाद दोनों बच्चों को अपने से दूर करके रिश्तेदार के पास भेज दिया था। लगभग 15 दिन वे होम क्वारटाइंन रही। उन्हें बच्चों की काफी याद आती थी, लेकिन वे अपने बच्चों को संक्रमित नहीं करना चाहती थी। बिना डर के इमरजेंसी वार्ड में निभा रही ड्यटी
नर्स जगदेव कौर ने बताया कि लगभग 15 दिन होम क्वारंटाइन होने के बाद उन्होंने दोबारा से कोरोना टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट नेगेटिव आई। इसके बाद सिविल अस्पताल में दोबारा से अपनी ड्यूटी पर तैनात हो गई। वे बिना किसी डर के अभी इमरजेंसी वार्ड में अपनी ड्यूटी निभा रही है। कोई भी मरीज आता है तो वे सबसे पहले इमरजेंसी वार्ड में आता है, जिसका वे उपचार करती है।