फिल्मी इंडस्ट्री से राजनीति में आए, सादा जीवन जीना पसंद

पावर हाथ में लगते ही नेता हवा में उड़ने लगते हैं लेकिन एक ऐसे भी नेता जी हैं जिनके रहन-सहन व मेलमिलाप में कोई बदलाव नहीं आया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 09:51 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 09:51 AM (IST)
फिल्मी इंडस्ट्री से राजनीति में आए, सादा जीवन जीना पसंद
फिल्मी इंडस्ट्री से राजनीति में आए, सादा जीवन जीना पसंद

संजय तिवारी, बटाला

पावर हाथ में लगते ही नेता हवा में उड़ने लगते हैं, लेकिन एक ऐसे भी नेता जी हैं, जिनके रहन-सहन व मेलमिलाप में कोई बदलाव नहीं आया। वे आम आदमी की तरह ही जनता में विचर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं विधानसभा हलका बटाला से विधायक लखबीर सिंह लोधीनंगल की। विधायक लोधीनंगल द्वारा अर्बन एस्टेट में बनाया गया अपना कार्यालय कोई हाई-फाई नहीं है। दफ्तर देख ऐसा लगता है कि जैसे किसी साधारण व्यक्ति ने अपने किसी कारोबार के लिए छोटा सा दफ्तर बनाया हो। इसी दफ्तर में बैठकर वे लोगों की समस्याओं को सुनते हैं। विधायक लोधीनंगल को सिंपल रहना पसंद हैं। शिरोमणि अकाली दल बादल में वे एक अलग पहचान रखते हैं और पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के काफी नजदीकियों में से एक हैं।

विधायक लखबीर सिंह लोधीनंगल ने 1966 में दसवीं कक्षा की पढ़ाई पीएसईबी से की है। उसके बाद उन्होंने 1975 में चंडीगढ़ इंस्टीट्यूट व फिल्म इंडस्ट्री इंस्टीट्यूट पुणे में फिल्म इंडस्ट्री की ट्रेनिंग ली। बाद में उनको कई फिल्मों में काम मिला। वर्ष 1977 में उन्हें अपनी पहली फिल्म दो पठान से डेब्यू किया। इसके बाद मूवी झूमर, कल की बात में काम किया। विधायक लोधीनंगल ने बताया कि 1980 में शहीद ऊधम सिंह के नाम पर बनी फिल्म में उनको काम मिला, जिसमें उन्होंने ऊधम सिंह का साइड रोल निभाया। उसके बाद उन्होंने राजन मेरा यार, जोकि स्टूडेंट के जीवन पर एक फिल्म बनी थी, उसमें उन्होंने स्टूडेंट का रोल निभाया था। एक फिल्म इंसानियत दे वैरी में भी उन्होंने एक पिता को रोल निभाया है। इसके बाद उन्होंने फिल्मी जगत से दूरी बना ली।

फिर 1982 में वे लोन लैंड बैंक के चेयरमैन बने और छह साल तक चेयरमैन रहे। वर्ष 1985 में उन्होंने राजनीति में अपना पैर रखा और अपने क्षेत्र फतेहगढ़ चूड़ियां से विधानसभा का चुनाव आजाद रूप से लड़ा, लेकिन हार गए। वर्ष 1991 में वे फिर से हलका कादिया से अकाली दल की ओर से चुनाव लड़े, किसी कारण वह चुनाव स्थगित हो गया। उन्होंने अकाली दल ज्वाइन की तो वे 1997 में फतेहगढ़ चूड़ियां/कादिया से चुनाव लड़ने के लिए अकाली दल से टिकट की माग की, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिली। इस कारण उन्होंने आजाद चुनाव लड़ने का फैसला किया, लेकिन सुखबीर बादल ने उन्हें आजाद चुनाव नहीं लड़ने के लिए मना लिया। चुनाव तो उन्होंने नहीं लड़ा, लेकिन लोगों की सेवा करनी नहीं छोड़ी। बाद में 2007 में हलका कादिया से उन्होंने चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद 2012 में बटाला से चुनाव लड़े, जिसमें वे हार गए। वर्ष 2017 में शिअद से बटाला में चुनाव लड़े और जीते। विधायक लोधीनंगल वर्ष 1972 से 1991 तक गाव लोधीनंगल के सरपंच भी रह चुके हैं। नगर सुधार ट्रस्ट बटाला के 2003 से 2006 तक चेयरमैन रहे। विधायक लोधीनगल कबड्डी के राष्ट्रीय खिलाड़ी भी रह चुके हैं। अकाली दल के स्टेट एडवाजरी मेंबर भी है। मां और जत्थेदारों के कहने पर फिल्म इंडस्ट्री छोड़ी

विधायक लखबीर सिंह लोधीनंगल को सिंपल रहना, सादा खाना पसंद है। वे अपने शरीर की फिटनेस के लिए खाना का खास ध्यान रखते हैं। वे एक किसान परिवार से हैं। पहले वे किसानी भी करते थे, लेकिन अभी उन्होंने खेतों में जाना बंद कर दिया है। वे अपने माता-पिता के अकेले बेटे हैं। जब वे दो साल के थे, तभी उनके पिता इस दुनिया से चले गए थे। फिल्म इंडस्ट्री इसलिए उन्होंने छोड़ दी, क्योंकि वे सिख परिवार से है और फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें क्लीन शेव करना पड़ता। जत्थेदारों व उनकी माता महिंदर कौर ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने के लिए कहा तो वे फिल्म इंडस्ट्री छोड़ राजनीति में आ गए। जिद्दी और असूलों के हैं पक्के

विधायक लोधीनंगल स्वभाव से थोड़े जिद्दी हैं और असूलों के पक्के हैं। यही कारण है कि राजनीति में आते ही उन्होंने आम जनता की समस्याओं को अपनी समझा। बटाला हलके में हो रहे विकास कार्यो पर कई सवाल भी उठाए हैं। उन्हें आम जनता के साथ धोखेबाजी बिल्कुल पसंद नही है। जब उनके पास कोई समस्या आती है तो वे उस समस्या का समाधान निकालकर ही सास लेते हैं। कुर्ता-पायजामे के शौकीन

विधायक लोधीनंगल ने बताया कि वे शुरू से ही सिंपल रहना पसंद करते हैं। कपड़ों में उनको कुर्ता पायजामा पहनना पसंद है। वे किसी खास से नहीं बल्कि अपने ही गाव लोधीनंगल के रहने वाले एक टेलर से ही अपना कुर्ता-पायजामा सिलाते हैं। एक आम आदमी से कुर्ता-पायजामा सिलाकर पहनने में उनको काफी आनंद मिलता है। किसी गरीब की मदद करने में उनको काफी सुकून मिलता है। यही कारण है कि वे अपने प्रत्येक निजी काम, आम लोगों से ही करवाते हैं, ताकि उनका रोजगार चलता रहे। बड़ा बेटा जीएनडीयू में डिप्टी डायरेक्टर तो छोड़ा कनाडा में सेटल

विधायक लखबीर सिंह लोधीनंगल के परिवार में उनकी धर्मपत्नी जसबीर कौर हाउस वाइफ हैं। उनके दो बेटे बड़ा बेटा कंवर मनदीप सिंह व छोटा बेटा कंवर संदीप सिंह हैं। दोनों बेटों की शादी हो गई है। बड़ा बेटा गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी में स्पो‌र्ट्स डिप्टी डायरेक्टर है व छोटा बेटा कनाडा में सेटल है। कस्बा फतेहगढ़ चूड़िया में पड़ते गाव लोधीनंगल में इनका घर है। सभी साथ में रहते हैं।

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