योग भारत की प्राचीन परंपरा का उपहार : स्वामी सदानंद

एसएसएम कालेज में प्रिसिपल डा.आरके तुली के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आइक्यूएसी एनएसएस और एनसीसी विभाग द्वारा योग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 04:50 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 04:50 PM (IST)
योग भारत की प्राचीन परंपरा का उपहार : स्वामी सदानंद
योग भारत की प्राचीन परंपरा का उपहार : स्वामी सदानंद

संवाद सूत्र, दीनानगर : एसएसएम कालेज में प्रिसिपल डा.आरके तुली के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आइक्यूएसी, एनएसएस और एनसीसी विभाग द्वारा योग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें प्रोफेसर डा. वेदप्रकाश डिडोरिया ( संस्कृत विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली) बतौर संसाधन व्यक्ति उपस्थित हुए। प्रिसिपल डा. तुली ने मुख्य वक्ता का स्वागत करते हुए कहा कि योग शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जितना फायदेमंद है उतना ही मानसिक रूप से भी मजबूती देता है।

स्वामी सदानंद ने कहा कि योग भारत की प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार है, जो मनुष्य और प्राकृतिक के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। वेबिनार के संयोजक डा. राजन हांडा ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि योग एक प्रकार की जीवन शैली है। प्राचीन काल में योग साधना इसलिए की जाती थी कि व्यक्ति शरीर और मन दोनों प्रकार से स्वस्थ रह सके। कितु आज योग का प्रयोग एवं उपचार पद्धति के लिए हो रहा है। अत: जीवन शैली को संतुलित बनाने के लिए योग का अभ्यास करना आवश्यक है।

डा. वेद प्रकाश डिडोरिया ने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ योग का मानसिक व आध्यात्मिक पक्ष से भी महत्व है। हमारे जीवन का प्रत्येक आयाम योग से जुड़ा है आरोग्यता और मोक्ष दोनों का आधार योग है। प्रोफेसर प्रबोध ग्रोवर ने कहा कि योग मन और मस्तिष्क को मजबूत करके मानसिक रूप से मजबूत बनाता है। अपनी मानसिक एकाग्रता को बढ़ाने के लिए योग से बेहतर कोई विकल्प नहीं। अंत में प्रोफेसर अमित कुमार कोआर्डिनेटर ने सभी का धन्यवाद किया। इस अवसर पर डा. विशाल महाजन, प्रोफेसर लखविदर सिंह, प्रोफेसर सुबीर रगबोत्रा, प्रोफेसर कमलजीत कौर, प्रोफेसर सुषमा, प्रोफेसर मोनिका इत्यादि उपस्थित थे।

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