पूर्णत: विज्ञान सम्मत है भारतीय नववर्ष : डा. सोनू
हमें गर्व है कि भारतीय कैलेंडर अंग्रेजी कैलेंडर से 58 साल आगे है।
संवाद सहयोगी, दीनानगर : हमें गर्व है कि भारतीय कैलेंडर अंग्रेजी कैलेंडर से 58 साल आगे है। अंग्रेजी कैलेंडर अभी वर्ष 2021 तक ही पहुंचा है, वहीं हमारा भारतीय कैलेंडर 13 अप्रैल 2021 को 2078वें वर्ष में प्रवेश कर जाएगा। इसी दिन से चैत्र नवरात्र प्रारंभ होंगे, जिसका समापन रामनवमी पर होगा। 13 अप्रैल 2021 से शुरू हो रहे नव संवत्सर 2078 पर कई संगठनों द्वारा हिंदू नववर्ष का स्वागत किया जाएगा। ये बातें श्री ब्राह्मण सभा यूथ विग के पंजाब प्रधान व लोक सेवा समिति के प्रधान डा. सोनू शर्मा ने कही।
डा. सोनू शर्मा ने कहा कि ऐसे तो विश्व के विशाल धरातल पर अनेक प्रकार वर्षो (कैलेंडरों) का प्रचलन है। उनके आरम्भ के अनुसार भिन्न-भिन्न कारणों के साथ भिन्न-भिन्न समय में मनाए जाने की परंपरा है। अपनी-अपनी आस्था-श्रद्धा, परंपरा, विभिन्न देश-राष्ट्र, धर्म-जाति, समाज और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार अपने-अपने तौर-तरीकों से नववर्ष बड़े धूमधाम से उत्साहपूर्वक मानते हैं। विशेष रूप से सम्पूर्ण विश्व में अंगेजी नववर्ष (31 दिसम्बर की रात्रि और 1 जनवरी के आरम्भ को लेकर) बड़े धूमधाम से मनाते हैं, किन्तु हमारा अपना भारतीय नववर्ष अति प्राचीन और वैज्ञानिक आधार लिए हुए है। हमारे धार्मिक एवं सांस्कृतिक संस्कारों के साथ भी जुड़ा हुआ है। डा. सोनू शर्मा ने बताया कि चैत्र शुक्ल पक्ष आरंभ होने के पूर्व ही प्रकृति नववर्ष आगमन का संदेश देने लगती है। प्रकृति की पुकार, दस्तक, गंध, दर्शन आदि को देखने, सुनने, समझने का प्रयास करें तो हमें लगेगा कि प्रकृति पुकार-पुकार कर कह रही है कि पुरातन का समापन हो रहा है और नवीन बदलाव आ रहा है। नववर्ष दस्तक दे रहा है। भारतीय नववर्ष का ऐतिहासिक महत्व
-यह दिन सृष्टि रचना का पहला दिन है। माना जाता है कि इस दिन से एक अरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार 110 वर्ष पूर्व इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्मा जी ने जगत की रचना प्रारंभ की।
-सम्राट विक्रमादित्य ने 2078 वर्ष पहले इसी दिन राज्य स्थापित किया था।
-प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक दिवस। प्रभु राम ने भी इसी दिन को लंका विजय के बाद अयोध्या में राज्याभिषेक के लिए चुना।
-नवरात्र स्थापना : शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही है। प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन।
-गुरु अंगददेव प्रगटोत्सव : सिख परंपरा के द्वितीय गुरु का प्रकाश पर्व।
-आर्य समाज स्थापना दिवस : समाज को श्रेष्ठ (आर्य) मार्ग पर ले जाने हेतु स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन को आर्य समाज स्थापना दिवस के रूप में चुना।
-संत झूलेलाल जन्म दिवस : सिध प्रांत के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरुणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
-शालिवाहन संवत्सर का प्रारंभ दिवस : विक्रमादित्य की भांति शालिनवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।