सिविल में इलाज करवाना है तो बाहर से लेकर आएं इंजेक्शन

सिविल अस्पताल गुरदासपुर में कोई भी दुर्घटना का मामला आए तो अजीब स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक इलाज तो शुरू कर देते हैं

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Oct 2021 10:58 PM (IST) Updated:Sat, 09 Oct 2021 10:58 PM (IST)
सिविल में इलाज करवाना है तो बाहर से लेकर आएं इंजेक्शन
सिविल में इलाज करवाना है तो बाहर से लेकर आएं इंजेक्शन

राजिदर कुमार, गुरदासपुर

सिविल अस्पताल गुरदासपुर में कोई भी दुर्घटना का मामला आए तो अजीब स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक इलाज तो शुरू कर देते हैं, लेकिन आवश्यक इंजेक्शन यहां उपलब्ध न होने के कारण वे घायलों के परिजनों को बाहर से इंजेक्शन लाने के लिए भेजते हैं। इसके अलावा आपातकाल स्थिति में विभिन्न तरह के मरीजों को लगने वाले अधिकतर इंजेक्शन सिविल अस्पताल के स्टाक में करीब एक माह से खत्म है। यहां तक कि रात के समय जो इंजेक्शन अस्पताल में भर्ती मरीजों को लगाए जाते हैं, वह भी खत्म है।

हालत यह है कि सरकारी अस्पताल में इलाज करा रहे मरीजों का खर्च प्राइवेट जितना आ रहा है, क्योंकि बाहर निजी मेडिकल स्टोर से इंजेक्शन तीन से चार गुना अधिक रेट पर मिल रहे हैं। जिले के सबसे बड़े गुरदासपुर के सरकारी अस्पताल के यह हालात है तो बाकी के सीएचसी पीएचसी की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा साफ लगाया जा सकता है। शहर में तो फिर भी नजदीक से दवाई इंजेक्शन मिल जाते हैं। गावों में हालात और भी विकट हो जाते हैं। अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता कभी भी किसी पर भारी पड़ सकती है। इनकी उदासीनता लापरवाही का खामियाजा किसी भी मरीज को भुगतना पड़ सकता है। यह इंजेक्शन नहीं हैं स्टाक में

ग्लूकोज में लगने वाला फ्लूइड इंजेक्शन, गर्भावस्था में ब्लीडिग रोकने वाला प्रोस्टैडिन इंजेक्शन, दौरे रोकने के लिए दिए जाने वाला डाइपाजाम, प्रेग्नेंसी के दौरान लगाए जाने वाला एपिडोसिन, डॉग बाइट, एक्सीडेंट में घायल हुए मरीजों को लगने वाला एप्सोलिन इंजेक्शन, डिलीवरी के दौरान महिला की ब्लीडिग रोकने के लिए लगने वाला मेट्रगिन इंजेक्शन, सड़क दुघर्टना में सिर पर गहरी चोट लगने पर लगाए जाने वाला मैनिटोल इंजेक्शन, सड़क दुघर्टना में ज्यादा चोट लगने पर अगर मरीज की बाडी से अधिक रक्त बह जाए तो उसे अस्पताल में सबसे पहले लगने वाला हेमकॉल इंजेक्शन पिछले करीब एक महीने से खत्म है। यह सभी इंजेक्शन आपातकाल स्थिति के दौरान अस्पताल में होने बहुत जरूरी है। इसके अलावा रात के समय मरीजों को लगाए जाने वाले इंजेक्शन, जिसमें टीटी, सुपरस्पास, बड ओपन, सोसमोडिक आदि इंजेक्शन भी खत्म हो चुके हैं। परिजन घायल को संभालें या इंजेक्शन लेने जाए

कई बार तो दुर्घटना के बाद ऐसी स्थित हो जाती है कि घायल के पास तत्काल में एक दो परिजन ही पहुंच पाते हैं। ऐसे में इलाज के दौरान परिजन अपने रिश्तेदार घायल को संभाले या फिर बार बार इंजेक्शन दवाई लेने अस्पताल से बाहर जाए। पैरासिटामाल इंफुयन इंजेक्शन भी खत्म जिले में डेंगू अपना प्रकोप बढ़ा रहा है, वहीं इससे निपटने में सेहत विभाग हांफने लगा है। डेंगू को लेकर सिविल अस्पातल प्रबंधन भी लापरवाह नजर आ रहा है। डेंगू के मरीजों को आते ही सबसे पहले बुखार उतारने के लिए पैरासीटामॉल इंफयन इंफुयन का इंजेक्शन दिया जाता है। वह ही खत्म हो चुका है। इस कारण मरीजों को बाहर मेडिकल स्टोर से इस इंजेक्शन को लाना पड़ता है। डेंगू के अलावा बदलते मौसम के कारण भी लोगों को बुखार आने लगा है। लोग महंगे प्राइवेट अस्पतालों से डरते हुए सरकारी में आ रहे हैं लेकिन यहां पर उनको प्राथमिक इंजेक्शन ही नहीं लग पाता। इस कारण आम लोग परेशानी में हैं। रोज आ रहे हैं सौ से अधिक केस

सिविल अस्पताल में सड़क दुर्घटनाओं के दो से तीन, कुत्ते के काटे चार से पांच, डेंगू के दो से तीन, लड़ाई-झगड़े के तीन से चार केस रोज आ रहे हैं। वहीं मौसम में बदलाव के चलते बुखार के रोज सौ से अधिक मरीज आ रहे हैं। ऐसे में जरूरी इंजेक्शन अस्पताल में न होना असुविधा का प्रमाण है। शीघ्र मंगवाल लिए जाएंगे इंजेक्शन : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डा. हरभजन राम मांडी का कहना है कि सिविल अस्पताल में जल्द ही सभी इंजेक्शन आ जाएंगे। मरीजों को परेशानी नहीं होने दी जाएगी। सरकार को इंजेक्शन खत्म होने संबंधी लिखकर भेजा हुआ है।

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