पर्यावरण को अगर नही सभाला! आने वाली पीढ़ी नहीं ले पाएगी सांस

प्रदूषण की समस्या आज मानव समाज के सामने खड़ी सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। ि

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 09:00 AM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 09:00 AM (IST)
पर्यावरण को अगर नही सभाला! आने वाली पीढ़ी नहीं ले पाएगी सांस
पर्यावरण को अगर नही सभाला! आने वाली पीढ़ी नहीं ले पाएगी सांस

अशोक कुमार , गुरदासपुर

प्रदूषण की समस्या आज मानव समाज के सामने खड़ी सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। पिछले कुछ दशकों में प्रदूषण जिस तेजी से बढ़ा है, उसने भविष्य में जीवन के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगाना शुरू कर दिया है। हालांकि कोरोना काल के दौरान लाकडाऊन लगने के कारण पर्यावरण सुरक्षित हुआ था। जिससे लोगों को स्वच्छ पर्यावरण देखने को मिला था, मगर अब सब कुछ खुल जाने के चलते हालात फिर से पहले की तरह बनते जा रहे है।

कुछ वर्षों में जिला गुरदासपुर में भारी संख्या में प्रदूषण का प्रसार हुआ है। प्रदूषण के कारण लोगों में सांस की तकलीफ हो रही है। अगर पर्यावरण की संभाल अब भी शहर वासियों द्वारा नहीं की गई तो आने वाले समय में सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। बता दें कि राज्य सरकार द्वारा प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन अधूरे रखरखाव के अभाव में सरकार के सारे प्रयास असमर्थ साबित होते दिख रहे हैं।

समाजसेवी संस्थाओं द्वारा पर्यावरण को बचाने के लिए भी विशेष संघर्ष का रास्ता अपनाकर पौधे रोपित किए जा रहे हैं लेकिन, स्थानीय प्रशासन द्वारा गंभीरता न दिखाए जाने के चलते संस्थाओं एवं विभागों द्वारा रोपित किए जाने वाले पौधे सूखते नजर आ रहे हैं। सरकार को चाहिए कि जिन संस्थाओं एवं विभागों द्वारा पौधे रोपित करवाए जाते हैं उनमें से किसी एक सदस्य उसे पौधे से वृक्ष बनने तक की जिम्मेदारी भी दी जानी चाहिए और विभागों द्वारा प्रतिवर्ष लगाए जाने वाले पौधों का विवरण भी प्रतिमाह लिया जाना चाहिए। बढ़ते प्रदूषण का एक और कारण मनुष्य वृक्षों की कटाई ज्यादा और वृक्षों को लगा कम रहे हैं, जिस कारण वातावरण को नुकसान हो रहा है। किसान पराली को आग लगा देते हैं, जिस कारण प्रदूषण की समस्या दिन प्रति दिन गंभीर बनती जा रही है। अगर हम सब ने प्रदूषण की समस्या का डटकर मुकाबला न किया तो, हमें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। शहर के बुद्धिजीवियों से बातचीत करने पर उन्होंने सभी को पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए योगदान करने की अपील की है। संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग ने पहुंचाई पर्यावरण को हानि- सतनाम सिंह सतनाम सिंह का कहना है कि कुछ दशकों पहले तक कोई प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया था। प्रकृति से संसाधनों को प्राप्त करना मनुष्य के लिए सामान्य बात थी। उस समय बहुत कम लोग ही यह सोच सके थे कि संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग हानि भी पहुंचा सकता है। हम जितना भी प्रकृति से लेते है उतना ही प्रकृति संसाधन दोबारा पैदा कर देती। औद्योगिक क्रांति के कारण बिगड़ा पर्यावरण का स्वरूप सुनील कुमार का कहना है कि वनों की अंधाधुंध कटाई व अयस्क के लिए जमीनों को खोदा गया। मशीनों ने इस काम में और तेजी ला दी। औद्योगिक क्रांति का प्रभाव लोगों को पर्यावरण पर दिखने लगा। जंगल खत्म होने लगे। उसके बदले बड़ी-बड़ी इमारतें, कारखाने खुलने लगे। इससे प्रदूषण की समस्या मानव जीवन के सिर पर आकर खड़ी हो गई। पर्यावरण में जहर घोल रहा वाहनों का दुरुपयोग सुखदेव सिंह का कहना है कि आज प्रदूषण के कारण हवा इतनी दूषित हो गई है कि मनुष्य के लिए सास लेना मुश्किल हो गया है। गाड़ियों और कारखानों से निकलने वाला धुआं हवा में जहर घोल रहा है। इससे तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। कारखानों से निकलने वाला कचरा नदियों और नालों में बहा दिया जाता है। इससे होने वाले जलप्रदूषण के कारण लोगों के लिए अब पीने लायक पानी मिलना मुश्किल हो गया है। प्रदूषण से बढ़ रहा तापमान ओजोन लेयर हो रही प्रभावित

एडवोकेट मुनीष कुमार का कहना है कि भूमि प्रदूषण की समस्या भी गंभीर हो गई है। इस तरह प्रदूषण तो बढ़ रहा है, कितु प्रदूषण दूर करने के लिए जिन वनों की जरुरत है वह दिन-प्रति-दिन कम हो रहे हैं। प्रदूषण के कारण धरती का तापमान बढ़ रहा है। ओजोन लेयर में कई छेद हो चुके हैं। नदियों और समुद्र में जीव-जंतु मर रहे हैं। बेमौसम बरसात हो रही है तो इससे खेती को बहुत नुकसान हो रहा है। ऐसे गंभीर समय में संसार के सारे देश मिलकर प्रदूषण की इस समस्या पर लगाम लगाए।

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