प्रकृति के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती : युद्धवीर सिंह
पर्यावरण का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। ये हरे-भरे पेड़-पौधे हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। प्रकृति के बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
संवाद सहयोगी, गुरदासपुर : पर्यावरण का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। ये हरे-भरे पेड़-पौधे हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। प्रकृति के बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जल, थल, वायु, अग्नि, आकाश इन्हीं पांच तत्वों से ही मनुष्य का जीवन है और जीवन समाप्त होने पर वह इन्हीं में विलीन हो जाता है। उक्त विचार शौर्य चक्र अवॉर्डी व गोस्वामी श्री गुरु नाभा दास महासमिति के प्रधान युद्धवीर सिंह ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि यह सर्वविदित सत्य है कि मानव की विभिन्न गतिविधियों के कारण भूमि, वायु, जल और उसमें निवास करने वाले जीवों के लिये खतरा उत्पन्न हो गया है। इस अवक्रमित वातावरण के कारण, बदले में मानव स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के लिये गम्भीर खतरा पैदा हो गया है। विकासशील देशों जैसे भारत में भोजन, जल और हवा में रोगाणु होने के कारण उत्पन्न जैविक संदूषण स्वास्थ्य के लिये एक भारी समस्या बना हुआ है। विषाक्त रसायनों और हानिकारक विकिरणों ने पहले से ही गम्भीर समस्याओं को स्वास्थ्य के लिये और अधिक कठिन बना दिया है। विकासशील योजनाओं के कारण पर्यावरण का प्रदूषित होना और उसके फलस्वरूप विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो रही हैं। हवा प्रदूषित हो जाती है, भूमि बंजर हो जाती हैं तथा पृथ्वी के हर कोने पर कूड़ा कचरा इकठ्ठा कर लेते हैं तो इतना तो तय है कि हम आगे आने वाली पीढि़यों के लिए कुछ भी रहने लायक नहीं छोड़ रहे हैं। हमारी वर्तमान पीढ़ी ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं और जीवनशैली को जीवन की अव्यावहारिक पद्धति पर विकसित कर लिया है। हालांकि प्रकृति ने हमें कई विकल्प प्रदान किए हैं कि किस तरह हम इन वस्तुओं व सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। अब यदि जल्दी ही हम लोगों ने अपनी जरूरतों को काबू में नहीं किया तो आने वाले समय में इसके भयानक परिणाम सबको भुगतने होंगे। इसलिए पेड़ों को काटने की बजाय अधिक से अधिक पौधे लगाए जाएं ताकि पर्यावरण की शुद्धता बरकरार रहे और लोग बीमारियों से बचे रहें।