सिविल अस्पताल में अब हीमोफीलिया का भी होगा इलाज

सिविल अस्पताल में हीमोफीलिया बीमारी का भी इलाज शुरू कर दिया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 Aug 2020 10:14 PM (IST) Updated:Tue, 11 Aug 2020 10:14 PM (IST)
सिविल अस्पताल में अब हीमोफीलिया का भी होगा इलाज
सिविल अस्पताल में अब हीमोफीलिया का भी होगा इलाज

राजिदर कुमार, गुरदासपुर

सिविल अस्पताल में हीमोफीलिया बीमारी का भी इलाज शुरू कर दिया गया है। हालांकि पहले इस बीमारी का इलाज अस्पताल में ना होने की वजह से हीमोफीलिया बीमारी से ग्रस्त लोगों को अमृतसर या पीजीआइ चंडीगढ़ में जाना पड़ता था। जिले में हिमोफीलिया बीमारी से 11 लोग ग्रस्त हैं, जिन्हें अपने इलाज के लिए अमृतसर और पीजीआइ चंडीगढ़ के चक्कर काटने पड़ते थे।

सिविल अस्पताल में इस बीमारी का इलाज शुरू होना लोगों के लिए राहत की बात है। मंगलवार को हिमोफीलिया के तीन मरीजों को एसएमओ डॉ. चेतना की निगरानी में डॉ .पूजा (पैथोलॅाजिस्ट), डॉ. प्रेम ज्योति ( मेडिसिन विशेशज्ञ) व डॉ. अजेश्वर महंत (बच्चों के माहिर) ने पूरा इलाज उपलब्ध करवाया।

डॉ. पूजा ने ने बताया कि हिमोफीलिया के मरीजों के खून में क्लाटिग फैक्टर की कमी हो जाती है। इस कारण शरीर में कहीं भी खून का बहाव शुरू हो जाता है। इससे मरीजों को काफी परेशानी होती है। इसमें एंटी हिमोफीलिक फैक्टर की जरूरत होती है। इस बीमारी में हिमोफीलिया-ए में फैक्टर आठ की जरूरत होती है। जबकि हिमोफीलिया-बी में फैक्टर नौ की जरूरत होती है। इन फैक्टर्ज की कीमत कम से कम दस से 11 हजार रुपये होती है। यह फैक्टर अब उनको पीएसएसीएस की तरफ से बिल्कुल मुफ्त उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इसके चलते मरीजों को अब अमृतसर या चंडीगढ़ जाने की जरूरत नहीं होगी। यह फैक्टर सिविल अस्पताल गुरदासपुर के ब्लड बैंक में मुफ्त लगाए जाएंगे। सिविल सर्जन डॉक्टर किशन चंद ने बताया कि सिविल अस्पताल में हिमोफीलिया बीमारी का इलाज शुरू कर दिया गया है।

यह है हीमोफीलिया बीमारी

हीमोफीलिया आनुवंशिक रोग है, जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है, क्योंकि रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे क्लॉटिग फैक्टर कहा जाता है। इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है। स्थिति की तीव्रता रक्त में मौजूद क्लॉटिग फैक्टर्स की मात्रा पर निर्भर करती है। ये हैं लक्षण

शरीर में नीले नीले निशानों का बनना, नाक से खून का बहना, आंख के अंदर खून का निकलना तथा जोड़ों की सूजन इत्यादि।

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