आज से 130 मंडियों में गेहूं की सरकारी खरीद, प्रबंध मुकम्मल
पंजाब सरकार मंडियों में दस अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू करेगी।
सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर
पंजाब सरकार मंडियों में दस अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू करेगी। इसे लेकर जिला प्रशासन ने 95 स्थायी व 35 अस्थायी मंडियों में खरीद व खरीद के दौरान कोरोना से बचने के लिए विभाग द्वारा जारी हिदायतों का पालन करवाने के लिए सभी प्रबंध मुकम्मल कर लिए हैं।
डीसी मोहम्मद इशफाक ने बताया कि गत वर्ष जिले में पांच लाख 15 हजार 94 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी। इस साल भी इतनी ही गेहूं मंडी में आने की संभावना है। उन्होंने बताया कि जिले में कुल 130 खरीद सेंटर स्थापित किए गए हैं। इनमें 95 रेगुलर मंडियां, एक टैंपरेरी मंडी व 34 खरीद केंद्र राइस मिलों में स्थापित किए गए हैं। जिला मंडी अफसर कुलजीत सैनी ने बताया कि जिले में बनाए गए समूह खरीद केंद्रों में दवाई का छिड़कव करवा दिया गया है ताकि कोरोना से बचा जा सके। इसके अलावा सेनिटाइजर व मास्क का भी पूरा प्रबंध है। कोविड-19 के नियमों का किया जाएगा पालन
डीसी ने बताया कि खरीद केंद्रों पर कोविड-19 को देखते हुए सरकार की ओर से जारी हिदायतों के तहत जिला खुराक व सप्लाई कंट्रोलर, जिला मंडी अफसर व सिविल सर्जन को हिदायत की जा चुकी है कि वे पंजाब सरकार की ओर से जारी हिदायतों को जिली की मंडियों में लागू करवाना यकीनी बनाएं। सिविल सर्जन मंडियों में सेहत विभाग की टीमों को भेजकर यह चेक करना यकीनी बनाएंगे कि मंडियों में शारीरिक दूरी, थर्मल स्कैनर, मास्क व सेनिटाइजर उपलब्ध है। सीधी अदायगी आढ़ती व किसान में फूट डालने का प्रयास : सुच्चा सिंह
आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान सुच्चा सिंह रामनगर ने कहा कि सरकार ने किसानों को सीधी अदायगी का फैसला लेकर आढ़ती व किसानों में दरार डालने का प्रयास किया गया है। किसान इससे पहले जब चाहे आढ़ती से आर्थिक मदद ले सकता था। एक तरह से आढ़ती किसानों के लिए बैंक की तरह काम करते थे, जो कि उन्हें 24 घंटे सर्विस देते थे। उन्होंने कहा कि सीसीएल लिमिट 15 से 20 लेट हो जाती है। ऐसे में किसानों को समय पर भुगतान नहीं हो पाएगा। किसानों की सहमति जरूरी : सुखदेव सिंह
किसान संघर्ष कमेटी के नेता सुखदेव सिंह का कहना है कि सरकार द्वारा सीधी अदायगी का फैसला लेकर किसानों व आढ़तियों का आपसी एकता खत्म किया जा रहा है। सरकार ऐसा करके किसानों के संघर्ष को कमजोर करना चाहती है। उन्होने कहा कि अगर सरकार को यह फैसला लागू करना ही था तो हरियाणा की तरह चुनने का अधिकार देना चाहिए कि जो किसान चाहे इस योजना के तहत भुगतान लें और न चाहे आढ़तियों के माध्यम से भुगतान ले सकता है।