सुबह नौ बजे तक दफ्तर पहुंचे कर्मचारी नहीं तो होगी कार्रवाई

मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पहली बैठक में आदेश देते हुए कहा है कि सरकारी कार्यालयों में सुबह नौ से शाम पांच बजे तक कर्मचारी अपनी उपस्थिति को यकीनी बनाएं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 07:40 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 07:40 PM (IST)
सुबह नौ बजे तक दफ्तर पहुंचे कर्मचारी नहीं तो होगी कार्रवाई
सुबह नौ बजे तक दफ्तर पहुंचे कर्मचारी नहीं तो होगी कार्रवाई

जागरण संवाददाता, गुरदासपुर : मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पहली बैठक में आदेश देते हुए कहा है कि सरकारी कार्यालयों में सुबह नौ से शाम पांच बजे तक कर्मचारी अपनी उपस्थिति को यकीनी बनाएं। इसके बाद मंगलवार देर शाम को डीसी मोहम्मद इशफाक ने जिले में आदेश जारी कर अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्धारित समय पर आफिस पहुंचने के लिए कहा है। अगर कर्मचारी सही समय पर आफिस नहीं पहुंचते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि गुरदासपुर के पूर्व डीसी विपुल उज्जवल व प्रदीप सभ्रवाल के कार्यकाल में एडीसी खुद सरकारी कार्यालयों की जांच करते थे। जबकि इस दौरान गैर उपस्थिति पाए जाने वाले कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जाता था। जवाब सही न देने वाले कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी होती थी। इन दोनों अधिकारियों के तबादले के बाद मौजूदा डीसी के कार्यकाल में यह कार्रवाई ठप होकर रह गई। जबकि सरकारी कार्यालयों में आने वाले लोग काफी परेशान होते थे। एसे लोगों की परेशानी मंत्रियों सहित मुख्यमंत्री तक भी पहुंचती रही। इसके चलते प्रदेश के नवनियुक्त सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने अपनी पहली प्रेस वार्ता के दौरान यह आदेश जारी किए। इन विभागों में रहती है दिक्कत

गुरदासपुर के सिविल अस्पताल की ओपीडी में सही समय पर डाक्टर उपलब्ध नहीं होते। तहसील, एसडीएमस व पटवारखाने में कर्मचारी हमेशा देरी से आते हैं। वहीं जिले में कुछ ऐसे विभाग भी हैं, जिन पर प्रशासनिक अधिकारियों की नजर तक नहीं जाती। यह विभाग मिनी सचिवालय से दो किलोमीटर एरिया के दायरे में है। यहां पर कई बार तो कर्मचारी कार्यालय में आते ही नहीं। वहीं सरकारी स्कूलों में भी अध्यापकों की कारगुजारी कुछ ठीक नहीं है। हर कर्मचारी राजनीतिक सिफारिश के चलते स्कूल में अपने ही समय पर आता है। अब तो गुरदासपुर जिले से डिप्टी सीएम भी हैं। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों की जनता के प्रति जवाबदेही बनाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को भी कड़ी मेहनत की जरूरत रहेगी।

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