गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आना

सात दिन तक भक्तों के बीच रहने के बाद विघ्नहर्ता सुखकर्ता भगवान श्री गणेश अपने धाम को वापस लौटने के लिए विसर्जन के लिए चल पड़े।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 03:49 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 03:49 PM (IST)
गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आना
गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आना

संवाद सूत्र, बटाला : सात दिन तक भक्तों के बीच रहने के बाद विघ्नहर्ता सुखकर्ता भगवान श्री गणेश अपने धाम को वापस लौटने के लिए विसर्जन के लिए चल पड़े। सात दिन पहले गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर श्री सिद्ध मंदिर बाबा बालक नाथ हंसली पुल और सर्राफा बाजार में श्री गौरी पुत्र गणेश की भव्य प्रतिमा की स्थापना की गई थी।

वीरवार को इन भव्य मूर्तियों के विसर्जन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर से मंदिर के संयोजक भगत कुणाल के नेतृत्व में शोभायात्रा का आयोजन किया गया। इसमें भगवान श्री गणेश जी के स्वरूप को विसर्जन के लिए वाहन पर रखकर सिदूर तथा फूल मालाओं से सजाकर व्यास ले जाया गया। गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ के गगनचुंबी जयकारों के बीच प्रतिमा को पवित्र जल में विसर्जित किया गया। इसलिए किया जाता है विघ्नहर्ता का विसर्जन

प्रत्येक वर्ष संपूर्ण भारत वर्ष में गणेश चतुर्थी को स्थापित किए जाने वाले भगवान गौरी पुत्र गणेश जी का पांच, सात अथवा दस दिन बाद अनंत चतुर्दशी को जल में विसर्जन किया जाता है। इस रहस्य के बारे में जब श्री राम तलाई मंदिर के महंत गुड्डू बाबा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। उस समय गणेश चतुर्थी पर श्री वेदव्यास जी ने विघ्नहर्ता श्री गणेश जी को महाभारत सुनाते हुए इसे कलम बंद करने के लिए कहा था। श्री गणेश यह कथा लगातार दस दिन अनंत चतुर्दशी तक अपने कर कमलों द्वारा लिखते रहे। महाभारत की संपूर्णता पर जब व्यास जी महाराज ने गणेश जी को उनके आसन से उठाया तो उस समय श्री गणेश जी का शरीर बहुत तप रहा था तो व्यास जी ने गणेश जी का हाथ पकड़कर उन्हें पास ही स्थित सरोवर में स्नान करवाया। इससे उनका शरीर शीतल हो गया। तभी से श्री गणेश जी के स्वरूप को स्नान अथवा विसर्जन करने की परंपरा चली आ रही है।

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