किसानों ने पंचायतों की 700 एकड़ जमीन पट्टे पर नहीं ली

पंजाब सरकार ने धान की रोपाई से पहले पंचायत की जमीनों की बोली करवाने के आदेश दिए थे मगर सीमावर्ती ब्लाक कलानौर व इसके अधीन आते दर्जनों गांवों की करीब 700 एकड़ पंचायती जमीन की बोली अभी तक नहीं हुई।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 03:36 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 03:36 PM (IST)
किसानों ने पंचायतों की 700 एकड़ जमीन पट्टे पर नहीं ली
किसानों ने पंचायतों की 700 एकड़ जमीन पट्टे पर नहीं ली

महिदर सिंह अर्लीभन्न, कलानौर

पंजाब सरकार ने धान की रोपाई से पहले पंचायत की जमीनों की बोली करवाने के आदेश दिए थे, मगर सीमावर्ती ब्लाक कलानौर व इसके अधीन आते दर्जनों गांवों की करीब 700 एकड़ पंचायती जमीन की बोली अभी तक नहीं हुई। इससे पंचायत की जमीन बकरियों के लिए चारा खाने की जगह बनी है। इससे पंचायत विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। हालांकि पंचायत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कृषि कानून व डीजल की बढ़ी कीमतों से इस बार किसानों ने पंचायती जमीन ठेके पर लेने से मुंह फेर लिया है।

जानकारी के मुताबिक कलानौर की नामवर ग्राम पंचायत की करीब 300 एकड़ जमीन के अलावा ब्लाक कलानौर के अधीन आते गांव सुखा राजू, सपरा कोठी, चौड़ा कलां, पकीवां, बख्तपुर, भंडाल व मीरकचाना गांवों में अभी तक ग्राम पंचायतों की पंचायती बोली नहीं हो सकी है। जबकि गांव धीदोवाल, डेयरीवाल किरन, जीओ जुलाई, मानेपुर, लखनकलां, सेख कबीर गांवों में पंचायती जमीन का आधा रकबा ही बोली पर लगा है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष पंचायत विभाग की हिदायतों के अनुसार पंचायत की जमीनों की बोली जून महीने के पहले सप्ताह तक मुकम्मल कर ली गई थी, मगर इस बार जुलाई महीने के चौथे सप्ताह में भी कलानौर व कुछ गांवों की पंचायती जमीनों की बोली मुकम्मल नहीं हो सकी। काबिलेजिक्र है कि पंचायत विभाग द्वारा 20 हजार रुपये प्रति एकड़ ठेके पर जमीन को 20 फीसद, 20 से 30 हजार प्रति एकड़ को 15 फीसद, 30 से 35 हजार तक 7.5 फीसद और 35 हजार से अधिक ठेके पर जमीन लेने पर पांच फीसद पिछले साल से बढ़ोत्तरी देकर पंचायती जमीन पट्टे पर लेने की हिदायतें थीं।

उधर, किसान दिलबाग सिंह, सुखदेव सिंह, सुखविदर सिंह, राजिदर सिंह, हरदेव सिंह, सरदूल सिंह, बलवंत सिंह, सुखदेव सिंह, हरदेव सिंह आदि किसानों का कहना है कि इस बार कोरोना महामारी के चलते किसान आर्थिक संकट में से गुजर रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि कानूनों के कारण किसानों को आने वाले समय में धान की बिक्री की चिता सताने लगी है। किसानों ने कहा कि पंचायत की जमीनों में ट्यूबवेलों की बड़ी कमी होने से और इस समय डीजल का तेल का भाव आसमान को छूने के चलते इस बार पंचायती जमीनें पहले वाले रेट व पट्टे पर किसानों ने नहीं ली। अब जुलाई का अंतिम सप्ताह बीत रहा है, मगर अभी तक पंचायत की जमीनों की बोली नहीं हो सकी और धान की रोपाई का समय भी बीत चुका है। यदि कोई किसान पंचायती जमीन के इच्छुक भी है तो उन्होंने भी बासमती की पनीरी नहीं रोपित की। पंचायत विभाग द्वारा पंचायती जमीन किसानों को पहले कम रेट पर न देने से सैकड़ों एकड़ पंचायती जमीन वीरान पड़ी हुई है। इससे पंचायत विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान झेलना पड़ेगा। 10

तीन-चार बार करवाई जा चुकी है सार्वजनिक बोली : बीडीपीओ

ब्लाक कलानौर के बीडीपीओ गुरजीत सिंह चौहान का कहना है कि जिन ग्राम पंचायतों की जमीनों की बोली नहीं हुई है उन्हीं पंचायत की जमीनों की तीन से चार बार सार्वजनिक बोली करवाई जा चुकी है, मगर किसानों द्वारा बोली नहीं दी जा रही है। बोली की अनुमति लेकर अगली कार्रवाई की जा रही है। इस बार किसान कृषि कानून और डीजल महंगे होने के चलते बोली में उत्साह नहंीं दिखा रहे हैं।

chat bot
आपका साथी