आनलाइन शिक्षा से आंखों में बढ़ रही ड्राइनेस

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते स्कूल और कालेजों में बच्चों के भविष्य को देखते हुए घरों में ही आनलाइन शिक्षा दी जा रही थी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 03:48 PM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 03:48 PM (IST)
आनलाइन शिक्षा से आंखों में बढ़ रही ड्राइनेस
आनलाइन शिक्षा से आंखों में बढ़ रही ड्राइनेस

अशोक कुमार, गुरदासपुर : वैश्विक महामारी कोरोना के चलते स्कूल और कालेजों में बच्चों के भविष्य को देखते हुए घरों में ही आनलाइन शिक्षा दी जा रही थी। बच्चे पढ़ाई के साथ ही मोबाइल पर आनलाइन गेम भी खेलते हैं। इसके चलते आंखों की बीमारी होने व रोशनी जाने का खतरा बढ़ गया है।

अधिक समय तक मोबाइल फोन या कंप्यूटर आदि का इस्तेमाल करने से आंखों पर असर पड़ता है। कई स्कूलों द्वारा आनलाइन शिक्षा के साथ ही होमवर्क के लिए नोट भी मोबाइल पर भेजे जाते हैं, जिसे कापियों पर उतारने के लिए बच्चों को कई घंटे मोबाइल पर छोटे-छोटे अक्षर गौर लगाकर पढ़ने पड़ते हैं, जिसका आंखों पर अधिक असर पड़ता है।

युवाओं की आंखों का पानी सूख रहा है। उनकी आंखों में पानी नाम की कोई चीज नहीं है। चौकिए नहीं। शहर के आंखों के विशेषज्ञों के पास ऐसे बच्चे और युवा काफी तादाद में पहुंच रहे हैं जिनकी आंखें ड्राई हो गई हैं, यानी उन्हें ड्राई आइ की शिकायत हो गई है। ड्राई आइ का मतलब वैसी आंख से है, जिसमें आंसू ग्रंथियां पर्याप्त आंसू का निर्माण नहीं कर पातीं। आंखों के विशेषज्ञों के अनुसार यह समस्या अधिक होने पर आंखों की सतह को नुकसान पहुंच सकता है। सिविल अस्पताल गुरदासपुर में आंखों के विशेषज्ञ डा. जीएन सिंह के अनुसार यूथ की आंखों में ड्राइनेस की समस्या काफी आ रही है, जिसका पहला कारण पाल्यूशन है। ज्यादातर युवा वाहन चलाते वक्त गागल्स नहीं पहनते। सीधे धूल मिट्टी के कण आंखों में जाते हैं। दूसरी वजह स्मार्ट फोन व कंप्यूटर है। जब हम स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करते हैं तो पलकें नहीं झपकते। एक मिनट में 16 बार झपकती हैं पलकें

विशेषज्ञों के मुताबिक आमतौर पर एक मिनट में 11 से 16 बार आंखों की पलकें झपकती हैं। लेकिन जो लोग स्मार्ट फोन व कंप्यूटर का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, वे पलके झपकाने की एक्टिविटी नहीं करते, जिसकी वजह से उनकी टियर फिल्म (आंसू की परत) का ब्रेकअप हो जाता है। जब आंखों में ड्राइनेस की समस्या आ जाती है, तो लोग अपने काम पर ध्यान नहीं दे पाते।

ड्राइनेस के लक्षण

-आखों में जलन

-आखों में खुजली

-आखों को मलते रहना

-अकारण पानी निकलना

-सिर भारी होना

-कुछ दूरी पर खड़े व्यक्ति को पहचानने में दिक्कत होना

-धुंधला दिखाई देना तुरंत करवाएं इलाज, वरना नजर हो सकती है कमजोर ऐसे करें बचाव

रोग विशेषज्ञ डा. ने अभिभावकों को सलाह दी है कि वे अपने बच्चों की पढ़ाई, टीवी देखने, लैपटाप या कंप्यूटर इस्तेमाल के लिए टाइम टेबल बनाएं। 40-45 मिनट से अधिक एक साथ बच्चों को इन चीजों का इस्तेमाल करने न दें व 15 मिनट का ब्रेक अवश्य दिया जाए। क्लास लगाने के बाद बच्चे खुले आंगन में पेड़-पौधों की तरफ देखें व आंखों को चारों तरफ घुमाएं। कुछ देर आंखों को बंद करके रखें। बच्चे पलकें झपकाते रहें। उन्होंने बताया कि मोबाइल पर लगातार आनलाइन पढ़ाई करना या गेम्स खेलना बेहद नुकसानदायक है। फोन की स्क्रीन बेहद छोटी होती है व इसे लगातार देखने रहने से आंखों पर दबाव पड़ता है। आंखों की रोशनी के लिए अंडे, हरी सब्जियां, बादाम, मछली, ड्राई फ्रूट, दूध का सेवन अवश्य करवाएं। आंखों में जलन, खुजली महसूस होने पर रगड़े नहीं, ठंडे पानी से छींटें मारें। कंप्यूटर पर काम करने वालों की आंखों की रेटिना पर पड़ता सीधा असर

डा. जीएन सिंह के अनुसार आंखों में ड्राइनेस की समस्या को तुरंत इलाज करवाकर दूर किया जा सकता है। विशेषज्ञ ड्राइनेस दूर करने के लिए आइ ड्राप्स देते हैं। यदि बहुत ज्यादा ड्राइनेस हो तो ओरल मेडिसिन भी दी जाती है। ज्यादा देर तक कंप्यूटर पर काम करने वालों की आंखों की रेटिना पर डायरेक्ट इफेक्ट पड़ता है। इससे आंखों में सूखापन की समस्या बढ़ रही है। ओपीडी में आने वाले 40 प्रतिशत मरीज आंखों में ड्राइनेस की समस्या से जूझने वाले होते हैं। मरीजों में 15 से 45 साल की आयु वर्ग वाले अधिक हैं।

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