हालत बिगड़ने पर अस्पताल आ रहे मरीज : डा. पायल
इधर उधर से बुखार की दवाई खाने के बाद जब मरीज की हालत बिगड़ने लगती है तो वे हमारे पास इलाज के लिए पहुंचते हैं।
बाल कृष्ण कालिया, गुरदासपुर
इधर उधर से बुखार की दवाई खाने के बाद जब मरीज की हालत बिगड़ने लगती है तो वे हमारे पास इलाज के लिए पहुंचते हैं। तब तक ऐसे मरीजों की आक्सीजन का स्तर काफी गिर चुका होता है। मैंने ऐसे कई मरीजों को ठीक किया है, जो अपनी जिंदगी की उम्मीद छोड़ चुके थे। हमारे स्टाफ ऐसे मरीजों की काउंसलिग करके उनके अंदर उम्मीद जगाते हैं। यह कहना है आरपी अरोड़ा अस्पताल की एमडी मेडिसिन डा. पायल अरोड़ा का।
आरपी अरोड़ा अस्पताल में इन दिनों कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज डाक्टर पायल अरोड़ा की तरफ से किया जा रहा है। डा. पायल के मुताबिक अगर सही समय पर मरीज को इलाज दिया जाए तो उसकी जान को बचाया जा सकता है। उनका कहना है कि दूसरी लहर बेहद खतरनाक है। ऐसी लहर में लोगों का आक्सीजन लेवल नीचे जा रहा है। इसके लिए मरीज को आक्सीजन के साथ साथ उसकी दिमागी काउंसलिग भी की जा रही है ताकि मरीज जल्द से जल्द ठीक किया जा सके। पिछले दो सप्ताह में ऐसे कई मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, जो कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे।
डा. पायल के मुताबिक उनके पास हाई फीवर बुखार से संबंधित मरीज उस समय आते हैं जब वह आसपास से दवाइयां खा कर अपने आप को ठीक करने की कोशिश करते हैं। जब ऐसे मरीज ठीक नहीं होते तो कठिन परिस्थिति में डाक्टर के पास आते हैं। ऐसे मरीजों का तब तक आक्सीजन लेवल सामान्य से घटकर कम हो जाता है। आक्सीजन बढ़ाने के साथ-साथ मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की पूरी डोर लगाई जाती है। यह इंजेक्शन वायरल को रोकने के लिए एंटी वायरल है। मरीजों में दहशत का है माहौल
कोरोना वयरस से संक्रमित मरीजों को ठीक करने के लिए अस्पताल परिसर में स्पेशल माहिर डाक्टरों को हायर किया गया है, जो वार्ड में लगातार दौरे पर रहते हैं। मरीजों का हालचाल जानने के बाद उन्हें दिमागी तौर पर भी ठीक किया जाता है। दरअसल कोरोना वायरस को लेकर मरीजों में दहशत का माहौल है। इससे मरीज और भी भयभीत हो जाता है। नतीजा मरीज ठीक होने की बजाय और बीमार होता है। ऐसे मरीजों की काउंसलिग, उनके खान-पान के साथ सही समय पर मेडिसन ही उनका बेहतर इलाज है। डा. पायल के मुताबिक अस्पताल में आने वाले मरीज का इलाज शुरू करने के लिए उन्हें दिन के साथ-साथ कई बार रात को भी जागना पड़ता है। कई बार तो ऐसे मरीजों का इलाज करते करते सुबह कब हो गई यह पता तक नहीं चलता। यह रखें एहतियात
डा. पायल के मुताबिक लगातार गर्म पानी से गरारे करें। घर में स्ट्रीमर लेकर आएं और दिन में तीन बार स्टीम लें। आक्सीजन लेवल मापने के लिए घर में आक्सीमीटर जरूर रखें। 94 से अक्सीजन लेवल अगर नीचे जाता है तो एक बार डाक्टर से जरूर संपर्क करें। ज्यादा से ज्यादा विटामिन सी युक्त पदार्थो का सेवन करें। प्रोटीन अधिक लें और कम कार्बोहाइड्रेट खाएं। बुखार होने पर डाक्टर की सलाह के मुताबिक ही दवाई लें। केमिस्ट की दुकान पर जाकर दवाई लेना खतरनाक सिद्ध हो सकता है। प्रशासन का मिल रहा पूरा सहयोग
अस्पताल के चेयरपर्सन डा. राजन अरोड़ा का कहना है कि जिला प्रशासनिक अधिकारी उन्हें इस काम में पूरा सहयोग दे रहे हैं। सिविल सर्जन हरभजन मांडी, ड्रग जोनल अधिकारी जनक राज, स्वास्थ्य अधिकारी डा. रोमी राजा सहित अन्य उच्च अधिकारी लगातार सरकारी तौर पर मिलने वाले दिशा निर्देश अस्पताल को दे रहे हैं। इसके चलते प्रशासन व डिप्टी कमिश्नर का पूरा सहयोग मिल रहा।