लड्डू बांटे, ढोल पर थिरके सिमरनजीत के पारिवारिक सदस्य

ओलिंपिक में भारतीय हाकी टीम ने जर्मनी को पांच-चार से हराकर ब्रांज मेडल जीतकर 41 साल के बाद इतिहास रचा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 11:38 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 11:38 PM (IST)
लड्डू बांटे, ढोल पर थिरके सिमरनजीत के पारिवारिक सदस्य
लड्डू बांटे, ढोल पर थिरके सिमरनजीत के पारिवारिक सदस्य

संजय तिवारी, बटाला : ओलिंपिक में भारतीय हाकी टीम ने जर्मनी को पांच-चार से हराकर ब्रांज मेडल जीतकर 41 साल के बाद इतिहास रचा है। बटाला के गांव चाहल कलां के रहने वाले सिमरनजीत सिंह का नाम भी इतिहास में सुनहरी अक्षरों में लिखा जाएगा, जिसने जर्मनी के खिलाफ दो गोल दागकर विजय पताका लहराने में अपना अमूल्य योगदान दिया। भारत की हाकी टीम की तरफ से ब्रांज जीत के बाद बटाला के गांव चाहल कलां में सिमरनजीत सिंह के घरवालों ने खूब जश्न मनाया। खुशी में जहां लड्डू बांटे गए वहीं ढोल की थाप पर सभी थिरके। पारिवारिक सदस्यों के लिए खुशी का कोई ठिकाना ही नही था। वहीं सिमरनजीत की बहन नवनीत कौर ने कहा कि उसे अपने भाई पर पूरा भरोसा था कि उसका भाई जर्मनी के खिलाफ अपने खेल का जादू दिखाएगा और सिमरनजीत ने जर्मनी के खिलाफ दो गोल दागे।

टीम इंडिया के खिलाड़ी सिमरनजीत सिंह की बहन नवनीत कौर और चचेरे भाई सतिदरजीत सिंह ने बताया कि वाहेगुरु ने उनकी अरदासों को सुना है। उन्होंने बताया कि वे बहुत खुश है कि टीम इंडिया ने अपना बढि़या प्रदर्शन करके जर्मनी को हराकर ब्रांज जीता है। उन्होंने बताया कि सिमरनजीत सिंह के खेल की वजह से केवल देश का ही नहीं बल्कि पूरे जिले का नाम भी रोशन हुआ है।

बहन नवनीत कौर का कहना है कि उसका भाई सिमरनजीत सिंह भारतीय टीम के लिए लक्की रहे हैं क्योंकि सिमरनजीत ने दो मैच नहीं खेले थे और बदकिस्मती से दोनों मैचों में भारत की हार हुई थी। सेमीफाइनल में भी सिमरनजीत सिंह रेस्ट पर थे। लेकिन उसे पूरा यकीन था कि जर्मनी के खिलाफ अगर उसका भाई सिमरनजीत सिंह खेला तो हिदुस्तान जरूर जीतेगा और उसकी बात सच हुई। सिमरनजीत सिंह की तरफ से किए पहले गोल ने भारत की टीम का हौसला बढ़ा दिया और उसके बाद दूसरा गोल किया। उनके सारे परिवार को सिमरजीत सिंह पर गर्व है।

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