आवारा कुत्ते बने आदमकोर, नसबंदी की मुहिम बंद
आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए नगर कौंसिल की तरफ से चलाई गई मुहिम पिछले कुछ समय से ठंडे बस्ते में चली गई है।
रवि कुमार, अशोक कुमार, गुरदासपुर
आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए नगर कौंसिल की तरफ से चलाई गई मुहिम पिछले कुछ समय से ठंडे बस्ते में चली गई है। करीब सात माह पहले नगर कौंसिल ने आवारा कुत्तों को पकड़ने का ठेका एक निजी कंपनी को दिया था। कंपनी ने शहर के 93 आवारा कुत्तों की नसबंदी की थी। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण कंपनी गुरदासपुर में सही ढंग से काम नहीं कर पाई। इससे नसबंदी का काम ठंडे बस्ते में पड़ गया। नतीजा यह हुआ कि आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ने लगी।
ये कुत्ते आम लोगों के लिए आदमखोर बनने लगे हैं। शहर की हर गली, मोहल्ला और चौराहों में इनका आतंक देखने को मिलता है। कुछ दिन पहले धारीवाल में आवारा कुत्तों ने एक छोटी बच्ची को नोच कर खा लिया था। इससे उसकी मौत हो गई थी। बच्चों, बुजुर्गो व अन्य लोगों को कुत्ते अपना शिकार बना रहे हैं। नगर कौंसिल में कई बार प्रस्ताव पास, पर काम नहीं शुरू हुआ
नगर कौंसिल में कांग्रेस का कब्जा है। ऐसे में गुरदासपुर शहर से आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी करना भी एक बड़ा मुद्दा है। नगर कौंसिल में कई बार इस मामले को लेकर प्रस्ताव पास किए गए, लेकिन सिर पर काम शुरू नहीं हो पाया। गुरदासपुर के लोगों के मुताबिक कौंसिल में बैठे सभी पार्षद अगर आवारा कुत्तों के मुद्दे को गंभीरता से लें तो शहर से इनका आतंक खत्म हो सकता है। इन इलाकों में आवारा कुत्तों की संख्या अधिक
शहर के संगलपुरा रोड, कादरी मोहल्ला, गीता भवन रोड, इस्लामाबाद मोहल्ला, काहनूवान चौक, जेल रोड, कालेज रोड, फिश पार्कके पास, बाठ वाली गली, सिनेमा वाली गली। सिविल अस्पताल में रोज आ रहे कुत्ते काटने से 12 से 15 केस
सिविल अस्पताल की एसएमओ डा. चेतना ने बताया कि शहर के अलावा आसपास के क्षेत्रों से सिविल अस्पताल में रोजाना 12 से 15 कुत्तों के काटे जाने के केस सामने आ रहे हैं। कुत्तों के शिकार होने वाले मरीजों को मुफ्त में रेबिज इंजेक्शन लगाए जाते हैं। अस्पताल में इस इंजेक्शन की कोई कमी नहीं है। नगर कौंसिल और पशुपालन विभाग में तालमेल की कमी
आवारा कुत्तों की सबसे अधिक दहशत मीट की दुकानों के बाहर देखने को मिलती है। यहां से गुजरने वाला हर व्यक्ति इनके दहशत से डरता है। एनिमल बर्थ कंट्रोल को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की तरफ से भी आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन इस पर सही समय पर काम नहीं होने से आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती चली जा रही है। दरअसल आवारा कुत्तों की नसबंदी करने का जिम्मा पशुपालन विभाग के पास है, जिनके पास इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। ऐसे में नगर कौंसिल और पशुपालन विभाग में आपसी तालमेल की कमी से आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ रही है। कोट्स
आवारा कुत्तों की नसबंदी को लेकर एक कंपनी को कौंसिल की तरफ से ठेका दिया जाएगा। आने वाले दिनों में आवारा कुत्तों की नसबंदी का क्रम शुरू कर दिया जाएगा।
-अशोक कुमार, ईओ।