सिविल अस्पताल में जल्द मिलेगी सिटी स्कैन व एमआरआइ की सुविधा
महंगी सीटी स्कैनिग व एमआरआइ से परेशान लोगों को नए साल में सिविल अस्पताल में ये सुविधाएं मिल सकती हैं।
बाल कृष्ण कालिया, गुरदासपुर
महंगी सीटी स्कैनिग व एमआरआइ से परेशान लोगों को नए साल में सिविल अस्पताल में ये सुविधाएं मिल सकती हैं। पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन व कृष्णा डायग्नोसिस सेंटर की ओर से आपसी तालमेल करके सिविल अस्पताल में सिटी स्कैन व एमआरआइ सेंटर का निर्माण शुरू कर दिया गया है। इसमें एमआरआइ, सीटी स्कैन और ब्लड टेस्ट की सुविधा मिलेगी। बता दें कि जिले के लोगों की लगातार मांग को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से एक निजी डायग्नोसिस सेंटर के साथ तालमेल करके पंजाब के अन्य जिलों में भी इस प्रक्रिया को शुरू किया गया है।
सिविल सर्जन डा. विजय कुमार का कहना है कि नए साल तक का सिविल अस्पताल में एमआरआइ, सीटी स्कैन सेंटर बनकर तैयार हो जाएगा, जिन्हें लोगों की सुविधा के लिए प्रयोग किया जाएगा। वर्ष 2022 के आगमन के साथ ही इसका आगाज किया जा सकता है। हालांकि चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले अगर यह बनकर तैयार हो गया तो इसे सत्ताधारी पार्टी इसका शुभारंभ कर सकती है और इसका श्रेय भी ले सकती है।
सिविल अस्पताल में पंजाब सिस्टम हेल्थ कारपोरेशन में कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर की ओर से आम जनता को दी जाने वाली स्कैन सुविधा किस दाम में दी जाएगी। इसके बारे में अभी कुछ भी कहना मुश्किल है। स्कैन सेंटर पूरा बनकर तैयार होने और इंफ्रास्ट्रक्चर लगने के बाद रेट तय होगा।
एमआरआइ, सीटी स्कैन सेंटर शुरू होने के बाद लोगों को महंगे स्कैनिग सेंटर में जाना नहीं पड़ेगा। सिविल अस्पताल से भी सीटी स्कैन के लिए मरीज को अस्पताल से बाहर रेफर नहीं किया जाएगा। इन सबके चक्कर में मरीज गुमराह होते थे और अस्पताल से बाहर निजी अस्पतालों में अपना इलाज करवाने को मजबूर हो जाते थे। ऐसे में अगर सड़क हादसा या फिर चोट लगने या फिर अन्य कारणों की वजह से डाक्टर मरीज को सिटी स्कैन या फिर हमारे लिखता है तो उसे अस्पताल में ही यह सुविधा मिलेगी।
महंगे टेस्टों से मिलेगा छुटकारा
सिविल अस्पताल में एमआरआइ व सीटी स्कैन मशीन लगने से आम जनता को महंगे टेस्ट से छुटकारा मिल जाएगा। इसमें एक कमीशन खोरी भी खत्म हो जाएगी। लोग वाजिब दामों में अपने टेस्ट सिविल अस्पताल से ही करवा सकेंगे। बता दें कि सड़क हादसे के दौरान डाक्टर मरीज की सिटी स्कैन में एमआरआइ लिख देते हैं। इसके चलते मरीज को अस्पताल से बाहर प्राइवेट सेंटर में जा कर यह सुविधा लेनी पड़ती थी। इस चक्कर में मरीज को हजारों रुपये खर्च करने पड़ते थे।