करवाचौथ का व्रत रखकर सुहागिनों ने पति के लिए मांगे लंबी उम्र

पति की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रविवार को करवाचौथ का व्रत पूरे उत्साह से मनाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 06:19 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 06:19 PM (IST)
करवाचौथ का व्रत रखकर सुहागिनों ने पति के लिए मांगे लंबी उम्र
करवाचौथ का व्रत रखकर सुहागिनों ने पति के लिए मांगे लंबी उम्र

संवाद सहयोगी, बटाला : पति की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रविवार को करवाचौथ का व्रत पूरे उत्साह से रखा। रविवार तड़के उठ कर महिलाओं ने सरगी के तौर पर दूध, फैनियां, फल और सब्जी के साथ रोटी खाई। इसके बाद से उनका व्रत शुरू हो गया। महिलाओं ने सारा दिन पानी तक नहीं पिया। शाम को महिलाएं अपने मुहल्ले में किसी एक घर में करवड़ा बंटाने के लिए रखे गए कार्यक्रम में शामिल हुईं। महिलाओं ने गोलाकार बैठक सजाई और अपनी-अपनी करवड़े की थालियां एक-दूसरे को बांटी। करवड़ा बंटाने के साथ महिलाएं करवड़ा से संबंधित पारंपरिक पंक्तियां भी बोल रही थीं। ब्राह्माणों स्त्रियों ने करवाचौथ से संबंधित कथा सुनाई। बाद में महिलाओं ने बेरी व पीपल के पेड़ों को जल का अ‌र्घ्य दिया। बहुओं ने अपनी सासु मांओं को मट्ठियां, मिठाईयां, बादाम और वस्त्रों के अलावा अन्य वस्तुएं दी। सासु मांओं ने भी बहुओं को करवाचौथ से संबंधित उपहार दिए। विवाहिताओं ने अपनी सास और पति के पैर छू कर आशीर्वाद लिया। रात करीब साढे़ आठ बजे चंद्रमा के उदय होने पर व्रतियों ने छननी से चंद्र दर्शन करके चंद्र को अ‌र्घ्य दिया। रात के भोजन के साथ महिलाओं ने अपना व्रत पूरा किया। व्रत पूरा करके महिलाओं ने भगवान से अपने पति की लंबी आयु उम्र मांगी इसलिए मनाया जाता है करवाचौथ

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक करवा नाम की पतिव्रता स्त्री थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान करने गया है तो नहाते समय एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ा लिया और निगलने के लिए खींचने लगा। उसने चिल्लाकर अपनी पत्नी करवा को बुलाया और सहायता के लिए कहने लगा। करवा बहुत पतिव्रता थी, इस लिए उसके सतीत्व में बहुत बल था। करवा ने नदी के तट पर अपने पति के पास पहुंचकर अपनी सूती साड़ी से धागा निकालकर अपने तपोबल से उस मगरमच्छ को बांध दिया। सूत के धागे से बांधकर करवा मगरमच्छ को लेकर यमराज के पास पहुंची। यमराज ने करवा से पूछा कि, आप यहां क्या कर रही हैं और आप चाहती क्या हैं। करवा ने यमराज से कहा कि इस मगर ने मेरे पति के पैर को पकड़ लिया था इसलिए आप अपनी शक्ति से इसके मृत्युदंड दें और उसको नरक में ले जाएं। यमराज ने करवा से कहा कि अभी इस मगर की आयु शेष हैं इसलिए वह समय से पहले मगर को मृत्यु नहीं दे सकते। इस पर करवा ने कहा कि अगर आप मगर को मारकर मेरे पति को चिरायु का वरदान नहीं देंगे तो मैं अपने तपोबल के माध्यम से आपको ही नष्ट कर दूंगी। करवा की बात सुनकर यमराज के पास खड़े चित्रगुप्त सोच में पड़ गए क्योंकि करवा के सतीत्व के कारण ना तो वह उसको शाप दे सकते थे और ना ही उसके वचन को अनदेखा कर सकते थे। तब उन्होंने मगर को यमलोक भेज दिया और उसके पति को चिरायु का आशीर्वाद दे दिया। साथ ही चित्रगुप्त ने करवा को आशीर्वाद दिया कि तुम्हारा जीवन सुख-समृद्धि से भरपूर होगा। चित्रगुप्त ने कहा कि जिस तरह तुमने अपने तपोबल से अपने पति के प्राणों की रक्षा की है, उससे मैं बहुत प्रसन्न हूं। मैं वरदान देता हूं कि आज की तिथि के दिन जो भी महिला पूर्ण विश्वास के साथ तुम्हारा व्रत और पूजन करेगी, उसके सौभाग्य की रक्षा मैं करूंगा। उस दिन कार्तिक मास की चतुर्थी होने के कारण करवा और चौथ मिलने से इसका नाम करवा चौथ पड़ा। इस तरह मां करवा पहली महिला हैं, जिन्होंने सुहाग की रक्षा के लिए न केवल व्रत किया बल्कि करवा चौथ की शुरुआत भी की।

chat bot
आपका साथी