75 फीसद दिव्यांग काजल ने पेंटिग की राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में पाया दूसरा स्थान

बे हिम्मते ने जिहड़े बैह के छिकवा करन मुकदरां दा उगन वाले उग पैंदे ने सीना पाड़ के पत्थरां दा कुछ ऐसा ही कर दिखाया धारीवाल की 75 फीसद से अधिक दिव्यांग काजल ने।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Nov 2021 10:13 PM (IST) Updated:Thu, 25 Nov 2021 10:13 PM (IST)
75 फीसद दिव्यांग काजल ने पेंटिग की राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में पाया दूसरा स्थान
75 फीसद दिव्यांग काजल ने पेंटिग की राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में पाया दूसरा स्थान

सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर

बे हिम्मते ने जिहड़े बैह के छिकवा करन मुकदरां दा, उगन वाले उग पैंदे ने सीना पाड़ के पत्थरां दा, कुछ ऐसा ही कर दिखाया धारीवाल की 75 फीसद से अधिक दिव्यांग काजल ने। काजल ने नई दिल्ली में दिव्यांगों की हुई पेंटिग की राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में दूसरा स्थान हासिल कर न केवल जिले बल्कि पंजाब का नाम रोशन किया है। कुछ माह पहले हुई प्रतियोगिता का परिणाम कुछ दिन पहले ही निकला है।

काजल के पिता धारीवाल निवासी नरिदर कुमार ने बताया कि वे टायलों का कारोबार करते हैं। उनके तीन बच्चे दो बेटे व एक बेटी है। उनकी बेटी काजल 16 साल की हो चुकी है। वह 75 फीसद से अधिक दिव्यांग है। जन्म के छह महीने के बाद उन्हें इस बात का पता चल गया था कि दिव्यांगता के कारण उनकी बेटी चल फिर नहीं सकेगी। इससे वे काफी मायूस भी हुए थे, लेकिन अब उनकी बेटी दिव्यांग होने के बावजूद पढ़ाई में अक्सर 90 फीसद से अधिक अंक लेती है, वहीं पेंटिग में भी सैकड़ों इनाम जीत चुकी है। इसके अलावा काजल जिला स्तर पर लेखन मुकाबले में प्रथम स्थान हासिल कर चुकी है।

उन्होंने बताया कि काजल इस समय सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल सोहल में 12वीं कक्षा की छात्रा है और नान मेडिकल की पढ़ाई कर रही है। उन्होंने बताया कि काजल ने कभी भी ट्यूशन नहीं ली। इसके बावजूद हमेशा उसके 90 फीसद से अधिक नंबर आते हैं। इसके चलते उन्हें अपनी बेटी पर बहुत ही गर्व है। अब हाल ही में उसने पेंटिग की राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में दूसरा स्थान हासिल किया है। चाइल्ड कौंसिल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रोमेश महाजन ने बताया कि पेंटिग की इस राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में पूरे देश में 100 के करीब व पंजाब से पांच विद्यार्थियों ने भाग लिया था। उसमें काजल ने पूरे आल देश में दूसरा स्थान हासिल किया है। उन्होंने बताया कि काजल को 18 नवंबर को मोगा में सम्मानित करते हुए राष्ट्रीय स्तरीय प्रमाण पत्र दिया गया है। उन्होंने कहा कि भले ही काजल शारीरिक तौर पर दिव्यांग है, लेकिन पढ़ाई व पेंटिग में बहुत ही होशियार है। 45 मुकाबलों में रही अव्वल

काजल ने बताया कि अब तक वह पेंटिग के करीब 45 मुकाबले जीत चुकी है। छह साल की आयु से वह लगातार पेंटिग के मुकाबलों में हिस्सा ले रही है। उसने राष्ट्रीय स्तरीय पर द्वितीय स्थान, 14 बार राज्य स्तर पर प्रथम व 30 बार जिला स्तर पर प्रथम स्थान हासिल किया है। आइएएस बनना चाहती है काजल

काजल ने बताया कि वह आगे चलकर आइएएस अफसर बनकर समाज की सेवा करना चाहती है। एक सवाल के जवाब में उसने कहा कि उसे कभी भी यह महसूस नहीं हआ कि उसके इस सपने में उसकी दिव्यांगता रुकावट बन सकती है। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उसके अभिभावक उसका पूरा सहयोग करते हैं। वहीं विभिन्न मुकाबलों में हिस्सा दिलवाने के लिए रोमेश महाजन का भी अहम सहयोग है। इलाज पर खर्च किए लाखों रुपये

काजल के पिता नरिदर कुमार ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि उनकी बेटी दिव्यांग होने के कारण चल फिर नहीं सकती है तो उन्होंने हर तरह से उसका इलाज करवाने का प्रयास किया। पहले उन्होंने डाक्टरों पर लाखों रुपये खर्च किए। इसके बाद उन्होंने देसी हकीम और यहां तक कि धार्मिक स्थानों और बाबाओं को भी नहीं छोड़ा। उनका सपना था कि किसी भी तरह उनकी बेटी अपने पैरो पर खड़ी हो सके, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उन्होंने बताया कि एक बार एक बाबा द्वारा उनकी बेटी के लिए दवाई बनाने के लिए दो किलो केसर मंगवाई गई थी जो उन्होंने छह लाख रुपये में लाकर दी थी, जिसे बाबा ने उनके सामने ही जलाकर राख बना दिया था। लेकिन उससे भी कोई भी फायदा नहीं हुआ।

chat bot
आपका साथी