पराली का भूसा बना करते हैं इस्तेमाल

गांव कोट धंधल के सरपंच बलजिदर सिंह ने कहा कि पुआल जलाने के बजाय उसे जोतकर अगली फसल की जा सकती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 09:00 AM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 09:00 AM (IST)
पराली का भूसा बना करते हैं इस्तेमाल
पराली का भूसा बना करते हैं इस्तेमाल

संवाद सहयोगी, गुरदासपुर : गांव कोट धंधल के सरपंच बलजिदर सिंह ने कहा कि पुआल जलाने के बजाय उसे जोतकर अगली फसल की जा सकती है। सरपंच बलजिदर सिंह ने कहा कि उनके पास पांच एकड़ जमीन है और वे पांच साल से बिना पराली में आग लगाए अगली फसल बीज रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे डेयरी फार्म के लिए पुआल का प्रबंधन करते हैं और फिर सालों तक उसका सही तरीके से इस्तेमाल करते हैं।

उन्होंने कहा कि आजकल कृषि में अतिरिक्त आय बढ़ाने के लिए संबंधित व्यवसायों को अपनाने की आवश्यकता है। किसान डेयरी और पोल्ट्री फार्म सहित कई अन्य व्यवसाय कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वे डेयरी का काम करते हैं और हर साल भूसे की देखभाल करते हैं और फिर उसका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। किसान बलजिदर सिंह ने कहा कि हमें पराली नहीं जलानी चाहिए और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए खेत की देखभाल करनी चाहिए। उन्होंने अपने साथी किसानों से अपील की कि समय की जरूरत को देखते हुए पराली नहीं जलानी चाहिए। खेती आधुनिक तरीके से करनी चाहिए और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए पुआल जलाने से बचना चाहिए।

जिले के मुख्य कृषि अधिकारी डा. सुरिदर सिंह ने किसानों से अपील की कि वे पराली जलाने के बजाय सुपरसाइडर और रोटावेटर का इस्तेमाल कर अपनी जमीन में भूसा मिलाकर अगली फसल की बुवाई कर सकते हैं। इस विधि से फसल की उपज और गुणवत्ता में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा जिले के किसानों को पुआल प्रबंधन के प्रति जागरूक करने के लिए ग्राम स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया गया है। किसानों को पराली को खेतों में ले जाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।

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