महाराजा शेर सिंह के महल को वास्तविक रूप देने की मांग
समाज सेवक जगजोत सिंह संधू ने महाराजा शेर सिंह के महल को एक कालेज के कब्जे से छुड़ाकर उसे वास्तविक रूप में देने की मांग की है।
संवाद सहयोगी, बटाला : समाज सेवक जगजोत सिंह संधू ने महाराजा शेर सिंह के महल को एक कालेज के कब्जे से छुड़ाकर उसे वास्तविक रूप में देने की मांग की है। उन्होंने सीएम कार्यालय और डीसी को पत्र भेजकर मांग की कि पुरातत्व विभाग इसे पुनर्निर्मित करे और इसे संग्रहालय में बदल दे। सिख राज्य से संबंधित पेंटिग बनाकर इसकी शानदार गाथा को प्रकाश में लाए।
जगजोत सिंह ने पत्र में बताया है कि 18वीं और 19वीं शताब्दी के दौरान सिख इतिहास में निर्मित इमारतें हमारी विरासत हैं। सिख समुदाय के गौरव का प्रतीक हैं। इन विरासतों का मूल अधिकार सिखों का है, लेकिन इन विरासतों से आम आदमी को वंचित किया जा रहा है। उन्होंने लिखा कि बटाला एक ऐतिहासिक शहर है, जो सिख राज्य का हिस्सा होने के कारण सिख विरासतों को डूबा बैठा है। इन विरासतों में महाराजा रणजीत सिंह की सबसे बड़ी रानी मेहताब कौर के कौख से जन्मे पुत्र शेर सिंह का बना हुआ शानदार महल भी है। इस महल में रहते हुए शेर सिंह ने अपने जागीर का प्रबंधन किया। उन्होंने महाराजा बनने के लिए बटाला से लाहौर तक मार्च किया था। महाराजा शेर सिंह इतिहास बन गए, लेकिन उनका महल ब्रिटिश शासन के बाद पहले उपायुक्त का कार्यालय बन गया और धीरे-धीरे स्कूल से एक नामी कालेज के कब्जे में चला गया। हमारी विरासत का हिस्सा होने के बावजूद महल को बटाला के लोगों के लिए इसमें प्रवेश करना चुनौतीपूर्ण लगता है। सीएम कार्यालय से जांच का आदेश
शुक्रवार को जगजोत संधू की तरफ से महल को लेकर की गई मांग संबंधी जबाव आया। जबाव में डीसी मोहम्मद इशफाक को सीसी में लेकर इस मामले की जांच करने का आदेश दिया गया है।