दीनानगर में भी बढ़ने लगा 'सफेद' पनीर का काला कारोबार

गुरदासपुर के बाद अब दीनानगर में नकली पनीर बनाने का कारोबार खूब फलने-फूलने लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 07:14 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 07:14 PM (IST)
दीनानगर में भी बढ़ने लगा 'सफेद' पनीर का काला कारोबार
दीनानगर में भी बढ़ने लगा 'सफेद' पनीर का काला कारोबार

शंकर श्रेष्ठ, दीनानगर : गुरदासपुर के बाद अब दीनानगर में नकली पनीर बनाने का कारोबार खूब फलने-फूलने लगा है, जिसका मुख्य कारण सेहत विभाग की ओर से पिछले लंबे समय से दीनानगर में मिठाइयों की दुकानों पर सैंपलिग न करना है। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा लोगों को खराब मिठाइयां खाकर भुगतना पड़ रहा है।

गौरतलब हो कि दीनानगर में 100 से अधिक मिठाई विक्रेताओं की दुकानों के साथ साथ काफी डेयरियां भी है, जिनमें से अधिकतर दुकानों पर सिथेटिक केमिकल से पनीर को तैयार किया जा रहा है लेकिन, सेहत विभाग लोगों के स्वास्थ्य को लेकर जरा सा भी गंभीर नहीं है।

गौरतलब हो कि करीब 2 वर्ष पूर्व गुरदासपुर में नकली पनीर बनाने वाली फैक्ट्री का पर्दाफाश हुआ था, जिसमें सैकड़ों किलो पनीर को पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की ओर से जप्त किया गया था। लेकिन अब दीनानगर में भी विभागीय अधिकारियों की ढीलमठ रवैए के चलते नकली पनीर बनाने के पैर पसरने लगे हैं। अगर जल्द ही इन पर विभाग द्वारा काबू नहीं पाया गया तो जहां लोगों को कैंसर जैसी भयानक बीमारियों का शिकार होना पड़ेगा तो वही इन दुकानदारों व डेयरी संचालको की ओर देखकर अन्य दुकानदारों के हौसले भी बुलंद होंगे। आंकड़ों की मानें तो देश में करीब 15 करोड़ का दूध का उत्पादन रोजाना होता है, ऐसे में अगर पूरे दूध को पनीर बनाने में भी खर्च कर दें तो सात लाख टन पनीर ही बन सकता है। जबकि हमारे देश में पनीर की डिमांड हर साल लगभग 25 फीसद की दर से बढ़ रही है और एक अनुमान के मुताबिक इस समय देश में पांच लाख टन पनीर की खपत हो रही है। जबकि देश में पूरे दूध का पनीर तो बनता नहीं है, ऐसे में यह साफ है कि हमारे अपने घर तक मिलावटी पनीर भेज कर मुनाफा कमाने वाले अपना खेल खेल रहे हैं। विगत आठ माह में नहीं लिया कोई भी सैंपल

सेहत विभाग इन दिनों इस कदर से मौन धारण किए हुए है कि स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई केवल घटनाओं के दिनों तक ही सीमित रह गई है। विभाग की ओर से पिछले 8 माह से दीनानगर में एक बार भी दुकानों पर सैंपलिग नहीं की गई है, जिसके चलते शहर के मिठाई विक्रेता व डेयरी संचालक निडर होकर नकली पनीर बनाने में जुटे हुए हैं जो, लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है। यही नहीं पनीर के अतिरिक्त मिठाइयां, दूध व अन्य खाद्य पदार्थ भी नकली व सिथेटिक पाउडर का इस्तेमाल करके तैयार किए जा रहे हैं।

कैसे बनता है नकली पनीर

आपको बता दें कि मिलावटखोर सिर्फ 150 रुपये में पांच किलो नकली पनीर बनाते हैं। इसके लिए वो थोड़े से दूध में सोडियम बाई कार्बोनेट यानी बेकिग सोडा डालकर घोल बनाते हैं। फिर उसमें पाम आयल या वेजिटेबल ऑयल मिला देते हैं। इसके बाद इस घोल को बेकिंग पाउडर से फाड़कर उसे बड़े कंटेनर में जमा दिया जाता है। इस तरह खतरनाक तरीके से बने जहरीले पनीर को फ्रेश पनीर बताकर ग्राहको तक पहुंचा दिया जाता है। इसलिए ये ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि कहीं आप भी नकली या मिलावटी पनीर तो नहीं खा रहे हैं।

इस इस तरह करें नकली पनीर की पहचान-

1. कुछ देर पानी में उबाल कर ठंडा कर लें और जब वो ठंडा हो जाए तो उसमें कुछ बूंदें आयोडीन टिचर की डालें। ऐसा करने पर अगर उस पनीर का रंग नीला पड़ने लगे तो जाए जान लीजिए कि वो मिलावटी है।

2. मिलावटी पनीर की पहचान के लिए पनीर का एक छोटा-सा टुकड़ा हाथ में मसलकर देख सकते हैं। अगर वो टूटकर बिखरने लगे तो फिर समझ लीजिए कि पनीर नकली है, क्योंकि ऐसे पनीर में मौजूद 'स्कीम्ड मिल्ड पाउडर' ज्यादा दबाव सह नहीं पाता है। --कोट्स--

विभाग की ओर से समय-समय सैंपलिग की जाती है। त्यौहारों व शादियों का सीजन होने के कारण पिछले सप्ताह से लगातार सैंपलिग की जा रही है ताकि लोगों को बिना मिलावटी मिठाइयां मुहैया करवाई जाएष डा. बलदेव सिंह, डीएचओ गुरदासपुर।

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