सतलुज से पाकिस्तान को नहीं मिलेगा पानी, नदी पर गेट बदलने का काम शुरू

सतलुज के पानी का सौ फीसद उपयोग अब भारत करेगा। लीकेज के रूप में रोजाना पाकिस्तान की तरफ जा रहे हजारों क्यूसिक पानी को रोके जाने के लिए हुसैनीवाला हेड पर काम शुरू हो गया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 18 Nov 2018 05:10 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 03:02 PM (IST)
सतलुज से पाकिस्तान को नहीं मिलेगा पानी, नदी पर गेट बदलने का काम शुरू
सतलुज से पाकिस्तान को नहीं मिलेगा पानी, नदी पर गेट बदलने का काम शुरू

फिरोजपुर [प्रदीप कुमार सिंह]। सतलुज के पानी का सौ फीसद उपयोग अब भारत करेगा। लीकेज के रूप में रोजाना पाकिस्तान की तरफ जा रहे हजारों क्यूसिक पानी को रोके जाने के लिए हुसैनीवाला हेड पर काम शुरू हो गया है। जनवरी 2019 तक हर हाल में सरकार द्वारा हुसैनीवाला हेड की मरम्मत का काम पूरा करने का लक्ष्य नहरी विभाग को दिया गया, जिसके तहत 12 नवंबर से हेड के गेटों की मरम्मत व जर्जर हो चुके गेटों को बदलने का काम शुरू हो गया है।

गेटों की मरम्मत हो जाने से पाकिस्तान की ओर जाने वाला पानी को रोका जा सकेगा। इस पानी का प्रयोग पंजाब की नहरों में डाला जाएगा। यहीं नहीं, हेड के जलग्रहण क्षेत्र में पानी एकत्र रहने से गिरते भूजल स्तर से भी राहत मिलेगी। इससे दरिया किनारे खेती करने वाले किसानों व पशुपालकों को भी आसानी से पानी उपलब्ध होगा। हालांकि हुसैनीवाला हेड से पहले बस्ती राम लाल से पाकिस्तान के कसूर जिले में प्रवाह करने वाली सतलुज दरिया की दूसरी धारा से पहले की भांति अब भी लगभग साढ़े तीन लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी।

हुसैनीवाला हेड वर्क्स के जेई सुशील कुमार ने बताया कि हेड की मरम्मत का काम 12 नवंबर से शुरू हो गया है, मरम्मत कार्य पर ढ़ाई से तीन करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। यह धनराशि सरकार द्वारा जारी कर दी गई है। जरूरत पड़ने पर नाबार्ड से और धनराशि मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि जनवरी तक हेड की मरम्मत का काम हर हाल में पूरा कर लिया जाएगा। अब तक गेटों से लीकेज के रूप में जो पानी बड़ी मात्रा में पाकिस्तान को जा रहा था, वह मरम्मत के बंद हो जाएगा और उस पानी का प्रयोग भारत में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मरम्मत कार्य को देखते हुए हरिके हेड से सप्ताह भर पहले ही पानी की आवक को बंद करवा दिया गया था, जो पानी हेड में एकत्र था उसे नीचे छोड़ दिया गया है, ताकि मरम्मत का काम आसानी से हो सके।

सतलुज के पानी पर भारत का पूरा अधिकार

भारत-पाकिस्तान में नदियों के जल वितरण लिए एक संधि हुई थी। यह संधि कराची में 19 सितंबर, 1960 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हुई थी। संधि में विश्व बैंक (तत्कालीन पुनर्निर्माण और विकास हेतु अंतरराष्ट्रीय बैंक) ने मध्यस्थता निभाई थी। संधि के तहत तीन पूर्वी नदियों व्यास, रावी और सतलुज का नियंत्रण भारत को तथा तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया था।

1927 में बना था हुसैनीवाला हेडवर्क्स

राजस्थान की धरती की प्यास बुझाने के लिए बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने 1927 में हुसैनीवाला हेडवर्क्स से गंगनगर का निर्माण करवाया था। इसे श्रीगंगानगर की जीवनरेखा भी कहा जाता है। हालांकि वर्तमान समय में यह नहर उपेक्षा का शिकार है, जिसका कारण पर्याप्त मात्रा में हेड से पानी का न मिल पाना बताया जा रहा है, जिससे इस नहर की मरम्मत का काम भलीभांति नहीं हो पाया। गंग नहर के साथ ही यहीं से ईस्टर्न नहर भी निकलती है जो पंजाब के विभिन्न हिस्सों में पानी की सप्लाई करती है।

तस्करों की टूटेगी कमर

भारत-पाकिस्तान के मध्य सरहद पर सदानीरा सतलुज दरिया के रास्ते अक्सर ही तस्करों द्वारा तस्करी की वारदातें अंजाम दी जाती है, जिसे रोक पाना भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही थी, लेकिन अब जब कि दरिया में पानी ही नहीं होगा तो सुरक्षा बलों के लिए तस्करों पर निगरानी रखने में ज्यादा आसानी होगी।

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