सीमावर्ती जिले में बेरोजगारी की मार झे रहे युवा पकड़ रहे विदेश की राह

घर-घर नौकरी देने का वादा कर सत्ता पर काबिज हुई राज्य सरकार ने रोजगार मेले लगाए पर रहे बेनतीजा

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Aug 2021 05:10 PM (IST) Updated:Mon, 30 Aug 2021 05:10 PM (IST)
सीमावर्ती जिले में बेरोजगारी की मार झे रहे युवा पकड़ रहे विदेश की राह
सीमावर्ती जिले में बेरोजगारी की मार झे रहे युवा पकड़ रहे विदेश की राह

तरुण जैन, फिरोजपुर : घर-घर नौकरी देने का वादा कर सत्ता पर काबिज हुई राज्य सरकार ने रोजगार मेलों में प्राइवेट कंपनियों में नौकरी दिला वादा पूरा करने का दावा किया था, परंतु वहां युवा खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। सीमावर्ती जिले के युवा विदेश जाने के लिए हाथ पांव मार रहे हैं।

बढ़े आइलेट्स सेंटर

जिले में रजिस्टर्ड करीब 98 आइलेट्स सेंटर है, उन्हीं के बीच कइयों ने इमीग्रेशन सेंटर बना रखा है। आइलेट्स सेंटर की संख्या पहले से दो गुणा हुई है। विशेषज्ञों के मुताबिक सीमावर्ती क्षेत्र से ही 250 से ज्यादा युवक हर साल कनाडा, दुबई, आस्ट्रेलिया इत्यादि में स्टडी, वर्क व टूरिस्ट वीजा लेकर जाते हैं। रोजगार मेले भी नहीं रोक पाए कदम

मार्च 2017 से फरवरी 2020 तक जिले में करीब 40 रोजगार मेले लगे, जिसमें 5870 नौकरियों के लिए 9868 युवाओं ने हिस्सा लिया था और 3627 उम्मीदवार चयनित हुए थे।

वर्ष 2019 में 19 से 26 सितंबर तक राज्य सरकार ने जिले में 6 रोजगार मेले लगाए, कंपनियों की ट्रेनिग देने की शर्त के बाद मात्र 7 से 15 हजार की नौकरी मिलने की बात पता चली तो युवकों का मोह भंग हो गया। विदेश जाने की इच्छा बना रही कर्जदार

सैंकड़ों पंजाबी युवक रोजगार की तलाश में माता-पिता के सिर पर कर्ज का बोझ डालकर कनाड़ा, आस्ट्रेलिया व दुबई जा रहे है। यहीं कारण है कि राज्य के इंजीनियरिग कालेजो के अलावा अन्य कालेजो में एडमिशनों की संख्या घटती जा रही है। विद्यार्थी स्कूलों से दसवीं व बारहवीं करने के बाद आइलेट्स का कोर्स कर विदेश जाने को तवज्जो दे रहे हैं। कालेजो में एडमिशन हो रही कम

बेरोजगारी से त्रस्त युवाओं में विदेश जाने की होड़ से कालेजो में एडमिशन कम हो रही है। शहीद भगत सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बूटा सिंह बताते है कि इसमें कोई संदेह नहीं की युवाओं में विदेश जाने के कारण कालेजों में एडमिशन कम हो रही हो, लेकिन उनके द्वारा अब वह कोर्स भी लाए जा रहे है, ताकि विद्यार्थी बारहवीं के बाद विदेश जाने की बजाय यहीं से डिप्लोमा करके विदेश जाकर डिग्री करें और साथ ही पार्ट टाइम काम करके अच्छी कमाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल इंजीनियरिग का क्रेज अभी कम नहीं हुआ है, क्योंकि तकनीकी युग में कंपनियों को इंजीनियर्स की ज्यादा जरूरत होती है। कोट्स - एमटेक कर चुकी आशिमा ने कहा कि इतनी पढ़ाई करने के बावजूद भी वह बेरोजगार है। सरकारी नौकरी की तैयारी करने के साथ-साथ पेपर भी दे रही है, लेकिन पेपर इतना मुश्किल डाला जाता है कि क्लियर हो ही नहीं पाता।

-सीमावर्ती गांव टेंडीवाला के जसविदर सिंह ने कहा कि उसने बारहवीं पास की है, पढ़ाई के बाद नौकरी व कारोबार का साधन न मिला तो उसने पिता के साथ खेती में हाथ बंटाना शुरू किया, बाकि समय वह गलियों में घुमकर ही निकाल देता है।

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