सरहदी गांव कालूवाला के इकलौते युवक ने ग्रेजुएशन में लिया दाखिला
इंसान के मन में किसी मुकाम को पाने का जुनून लग जाए तो मंजिल खुद-ब-खुद उसकी तरफ बढ़ती है। ऐसा ही जनून देश के आखिरी गांव कालूवाला के 18 वर्षीय मलकीत सिंह पर चढ़ा है।
तरूण जैन, फिरोजपुर : इंसान के मन में किसी मुकाम को पाने का जुनून लग जाए तो मंजिल खुद-ब-खुद उसकी तरफ बढ़ती है। ऐसा ही जनून देश के आखिरी गांव कालूवाला के 18 वर्षीय मलकीत सिंह पर चढ़ा है। वकील बन जरूरतमंदो को न्याय दिलवाने की इच्छा रखने वाला मलकीत अब पंजाब यूनिवर्सिटी कंस्टीट्यूशनल कालेज से ग्रेजुएशन कर रहा है। पिछले वर्ष 12वीं में उसने 82 फीसद अंक लेकर गांव का नाम रोशन किया था।
मलकीत ने बताया कि इस वक्त उसके गांव में वह अकेला ऐसा युवा है जो ग्रेजुएशन कर रहा है। उसने बीए फर्स्ट ईयर में राजनीतिक शास्त्र, हिस्ट्री व फिजिकल सब्जेक्ट रखे हैं। गांव के ज्यादातर युवक 12वीं करने के बाद मजदूरी या पुश्तैनी खेतीबाड़ी में लग जाते है। पूरे गांव में करीब 65 घर है और 350 की आबादी है। यहां के दो-तीन युवाओं ने ही ग्रेजुएशन कर रखी है, जबकि गांव से प्राइवेट कालेज 15 किलोमीटर तथा सरकारी कालेज 18 किलोमीटर दूर होने के कारण युवा कालेज नहीं जा पाते।
मलकीत के पिता स्वर्ण सिंह ने कहा कि उनके पास मात्र अढ़ाई एकड़ खेती योग्य जमीन है और उन्हें अपने दोनो बेटो का ही सहारा है कि वह बड़े होकर उनका नाम रोशन करेंगे। उन्होंने बताया कि छोटा बेटा 17 वर्षीय जगदीश सिंह 11वीं कक्षा में पढ़ रहा है और वह भी अपने बच्चो को ज्यादा पढ़ाना चाहते है ताकि बच्चे पढ़-लिखकर कामयाब बन सके। मलकीत की माता रानोबाई गृहणि है और वह अपने बच्चो की पढ़ाई में कोई कमी नही आने देती। गांव के नंबरदार मंगल सिंह ने कहा कि मलकीत सिंह ने पढ़ाई के मामले में गांव का नाम रोशन किया है। गांव को निहालेवाला की पंचायत लगती है। सरपंच हरबंस सिंह ने कहा कि अगर गांव के बच्चे पढ़कर कुछ बनेंगे तो ही उनका भला होगा। गांव गट्टी राजोके सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिसिपल डा. सुरिंद्र सिंह ने कहा कि मलकीत सिंह सतलुज दरिया को किश्ती से क्रास कर पांच किलोमीटर साइकिल पर स्कूल आता था और उसके बाद गांव के आठ अन्य विद्यार्थी भी किश्ती के माध्यम से स्कूल आना शुरू हुए थे।