विख्यात स्मारको में शामिल नहीं हो पाया सारागढ़ी

1897 में शहीद हुए सिख रेजीमेंट के शूरवीरों की याद में बना सारागढ़ी मेमोरियल इन दिनों सरकारी अनदेखी का शिकार हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 12 Sep 2021 09:58 AM (IST) Updated:Sun, 12 Sep 2021 09:58 AM (IST)
विख्यात स्मारको में शामिल नहीं हो पाया सारागढ़ी
विख्यात स्मारको में शामिल नहीं हो पाया सारागढ़ी

तरूण जैन, फिरोजपुर : 1897 में शहीद हुए सिख रेजीमेंट के शूरवीरों की याद में बना सारागढ़ी मेमोरियल इन दिनों सरकारी अनदेखी का शिकार हो रहा है। सारागढ़ी की लड़ाई बेशक यूनेस्को की ओर से विश्व के आठ युद्धों में से एक है और युद्ध में शहीद होने वाले वीरो की याद में हर साल समागम भी करवाया जाता है। इसके बावजूद देश व राज्य की सरकारें इसका नाम राष्ट्रीय संरक्षित स्मारकों की सूचि में शामिल नहीं करवा पाई।

आर्कियोलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने वर्ष 2006 में सारागढ़ी का दौरा किया था और उस वक्त डिप्टी कमिश्नर आइएएस अधिकारी कुलबीर सिंह सिद्धू ने इसका पूरा ब्यौरा टीम के आगे रखा था। टीम की ओर से रिपोर्ट बनाकर टूरिज्म मंत्रालय को भेजी गई थी। सारागढ़ी के युद्ध में शहीद होने वाले वीरों की याद में बॉलीवुड की ओर से भी तीन फिल्में बनाई गई हैं, जिनमें एक फिल्म संस ऑफ सरदार जोकि अजय देवगन ने बनाई तो दूसरी फिल्म डायरेक्टर राजकुमार संतोषी ने तो तीसरी फिल्म सलमान खान और करण जौहर जैसे सितारे बना चुके हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह खुद सारागढ़ी की लड़ाई पर किताब लिख चुके हैं। शहीदों के शहर में सारागढ़ी मेमोरियल स्थापित होने के बावजूद यहां के स्कूलों के विद्यार्थी इसके इतिहास से अवगत नही है।

राज्य सरकार द्वारा हर साल फिरोजपुर में कार्यक्रम आयोजित कर शहीदों के परिवारोंको एक कृपाण व सिरोपा भेंट किया जाता है। शहीदों के आश्रित इस नामात्र सम्मान से नाखुश हैं। उनकी मांग है कि सरकारें शहीदों की याद में इतने बड़े समागम करने की बजाय अगर उनके परिवारों के बच्चों को नौकरियां प्रदान करे तो यह शहीदों के प्रति सरकार का सच्चा सम्मान होगा। शहीद ईशर सिंह की याद में नहीं बन पाया अस्पताल

शहीद हवलदार ईशर सिंह के पड़पोते संतोख सिंह ने कहा कि आर्मी की ओर से उनके दादा की याद में गांव चौलड़ा जिला लुधियाना में सिर्फ एक स्मारक बनाया गया है और हर साल उनकी याद में श्रद्धांजलि समारोह करवाया जाता है। इसके बाद कोई उनकी सुध लेने नहीं आता कि वह किस हाल में हैं। संतोख सिंह ने कहा कि कुछ साल पहले पंजाब सरकार ने उनके पड़दादा ईशर सिंह की याद में अस्पताल बनाने का ऐलान किया था और इस ऐलान के बाद कार्रवाई एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाई।

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