फिरोजपुर वालों को याद आया सिद्धू का वादा

नवजोत सिंह सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस के प्रधान बनते ही फिरोजपुर वासियो को वादा याद आया

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 06:02 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 06:02 PM (IST)
फिरोजपुर वालों को याद आया सिद्धू का वादा
फिरोजपुर वालों को याद आया सिद्धू का वादा

तरुण जैन, फिरोजपुर

नवजोत सिंह सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस के प्रधान बनते ही फिरोजपुर वासियों को सिद्धू का किया वायदा याद आ गया है। 14 अगस्त 2017 को फिरोजपुर आते ही सिद्धू ने हुसैनीवाला को पर्यटन के तौर पर विकसित करने और व्यापार के लिए बार्डर खोलने की पैरवी केंद्र सरकार सेपास करवाने का वायदा किया था। सिद्धू तब राज्य के पर्यटन मंत्री थे। करतारपुर कारीडोर के कारण वाहवाही ले चुके सिद्धू से हुसैनीवाला बार्डर को लेकर प्रयासों की उम्मीद की जा रही है।

कांग्रेस सरकार में मंत्री पद पर रहते हुए कश्मकश के हालातों से गुजरते हुए सिद्धू अपने कई वायदे भूल गए थे। सीमावर्ती इलाके के विकास को लेकर उनके वायदों से फिरोजपुर वासियों की उम्मीदें जाग गई थी लेकिन वायदे पूरे ने हो पाने कारण स्थानीय लोग उनसे नाराज थे। लंबे समय के अंतराल के बाद एक बार फिर सिद्धू कांग्रेस कमेटी के प्रधान बन नई शक्ति के रूप में उभरे है। कांग्रेसी विधायकों का मिल रहा प्रोत्साहन उनके उज्जवल भविष्य का इशारा कर रहा है। ऐसे में फिरोजपुर वासियों में भी उम्मीद जागी है कि सिद्धू अपने वायदे पर काम शुरू करवाएंगे। इस वक्त जिले से चार कांग्रेस के विधायक और उनमें एक कैबिनेट मंत्री हैं। राष्ट्रीय स्तर चारों नेताओ ने आज तक हुसैनीवाला को व्यापार के लिए खुलवाने का मुद्दा केंद्र तक नही उठाया।

हुसैनीवाला बार्डर को व्यापार के लिए खुलवाना बड़ी मांग

शहीदो के शहर के वोटर्स से नेता हुसैनीवाला बार्डर खुलवाने के झूठे दावे कर वोट बटोरते रहे। लेकिन अभी तक किसी भी नेता ने इसे खुलवाने के लिए कोई पैरवी नहीं की है। कोई बड़ा नेता अंतरराष्ट्रीय भारत-पाक सीमा के हुसैनीवाला शहीदी स्थल पर श्रद्धासुमन अर्पित करने आता है तो वह बार्डर खुलवाने के दावे ठोक जाते हैं।

फिरोजपुर औद्योगिक रूप से पिछड़ा है

वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद हुसैनीवाला बार्डर व्यापार के लिए बंद हो गया था। इसे खुलवाने के लिए नेताओ ने मात्र सियासी रोटियां ही सेकी है। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यहां कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं हो पाया है। जिला औद्योगिक व व्यापारिक तौर पर पूरी तरह पिछड़ चुका है।

खाली हाथ लौट गए थे प्रधानमंत्री मोदी

23 मार्च 2015 को शहीद-ए-आजम भगत सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे तो उन्होंने सीमावर्ती जिले के लिए कोई बड़ा प्रोजेक्ट की घोषणा किए बिना लौट गए थे। ।

लाहौर व कसूर की दूरी बताने वाले मील के पत्थर आज भी मौजूद

लाहौर व कसूर की दूरी बताने वाले मील के पत्थर आज भी सारागढ़ी चौंक से लेकर हुसैनीवाला रोड़ पर लगे हुए है। जब भी कोई पर्यटक बार्डर का विजिट करने आते है तो वह इन पत्थर के साथ फोटो खिचवाकर खुद को पाकिस्तान के नजदीक होने का आनंद लेते हैं।

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