मंत्री नहीं तो खिलाड़ी होते राणा गुरमीत सिंह सोढी

काग्रेस की सरकार में दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बने पंजाब के खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी का राजनीति में आना एक संयोग था अगर वे राजनीति में न होते तो खेतीबाड़ी करते और बेहतर खिलाड़ी बनते।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 11:04 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 11:04 PM (IST)
मंत्री नहीं तो खिलाड़ी होते राणा गुरमीत सिंह सोढी
मंत्री नहीं तो खिलाड़ी होते राणा गुरमीत सिंह सोढी

संजय वर्मा, फिरोजपुर : काग्रेस की सरकार में दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बने पंजाब के खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी का राजनीति में आना एक संयोग था, अगर वे राजनीति में न होते तो खेतीबाड़ी करते और बेहतर खिलाड़ी बनते। खेलों के प्रति आकर्षण की वजह से ही वे खेल मंत्री बने। राइफल शूड्क्षटग में चैंपियन बनने के बाद सोढी का राजनीतिक सफर शुरू हुआ। दैनिक जागरण से कुछ अनछुए पहलुओं पर बात करते हुए राणा सोढी ने बताया कि फुर्सत के पलों में जब वे परिवार के साथ होते हैं तो सबके लिए खाना और नानवेज में पसंदीदा कबाब बनाते हैं। राणा सोढी के हाथों बने कबाब का परिवार भी दीवाना है। युवा वर्ग को खेलों के लिए उत्साहित करने के साथ सरकार में मिली जिम्मेदारी को निभाते हुए वे कभी तनाव में तो आ जाते हैं, लेकिन काम के बेहतर परिणाम से तनाव दूर करने की थ्यूरी भी उनके पास है।

राणा सोढी ने कहा वे खिलाड़ी थे और जमींदार परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता गुरु नरजीत सिंह काफी अच्छी बंदूक चलाते थे और तब वे शिकार करते थे, जिस कारण .12 बोर की बंदूक चलाना उनता शौक बना। शिकार पर पाबंदी लगी तो पिता ने उनको अपनी एनर्जी खेल के मैदान में लगाने को कहा। यही वजह रही वे राइफल शूटिंग कंपीटिशन में उतरे और साल 1978 में राइफल शूटिंग में नेशनल चैंपियन रहे। इसके बाद कामन वेल्थ गेम्स, 1980 में एशियन शूटिंग चैंपियनशप में हिस्सा लिया। राजनीति में भी खेलों की वजह से ही आए। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ उनका रिश्ता मंत्री और मुख्यमंत्री वाला नहीं। भाई गुरु हरदीप सिंह के साथ कैप्टन अमरेंद्र सिंह सनावर स्कूल में एक साथ पढ़ते थे और एक साथ राइफल शूटिंग करते थे, जिस कारण वे बचपन से उनके साथ जुड़े रहे और उनकी पारिवारिक नजदीकिया बढ़ी।

1985 में पहली बार गुरुहरसहाय विधानसभा का राजीव गाधी ने टिकट दिया। इसके बाद साल 2002 में सोनिया गाधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कैप्टन अमरिंदर सिंह के पंजाब अध्यक्ष बनने के बाद उनको फिर से टिकट मिली। इसके बाद वे साल 2007, 2012 और 2017 में जीत दर्ज करते रहे। राणा गुरमीत सिंह सोढी ने स्कूल, कालेज के दिनों की यादें ताजा करते कहा कि आज भी कुछ दोस्त याद हैं और उनके संपर्क में हैं। स्कूल के समय में की गई शरारतें जब दोस्तों से साझा करते है तो मानों बचपन लौट आता है। कुछ दोस्त विदेशों में है, उनसे भी मिलते हैं। पत्नी व बच्चों के साथ बिताते हैं फुर्सत के पल, राजनीति पर करते हैं चर्चा फुर्सत मिलने पर पत्नी टीना, दोनों बेटे और बेटी के साथ म्यूजिक सुनते हैं, फिल्म देखते हैं, पारिवारिक बातें करते हैं और हलके से जुड़ी राजनीति पर भी चर्चा कर लेते हैं। ऐसे मौके पर वे खुद सभी के लिए खाना बनाते है तो मन को सुकून मिलता है। उनका एक बेटा अनुमीत सिंह सोढी (हीरा सोढी) सूचना आयोग पंजाब के चेयरमैन हैं तो दूसरा बेटा रघुबीर सोढी बिजनेसमैन है। बेटी गायित्री विवाहित है और पेशे से एडवोकेट है।

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