सदाय दिल भी न हो साज के सिवा..ने लूटी वाहवाही

सदाय दिल भी न हो साज के सिवा नगमा क्या बचेगा फिर आवाज के बिना। जी हां रात सर्द थी लेकिन देश भर से आए शायरों की नजमों से माहौल गर्म था।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 05:08 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 05:08 PM (IST)
सदाय दिल भी न हो साज के सिवा..ने लूटी वाहवाही
सदाय दिल भी न हो साज के सिवा..ने लूटी वाहवाही

संवाद सहयोगी, फिरोजपुर

सदाय दिल भी न हो साज के सिवा, नगमा क्या बचेगा फिर आवाज के बिना।' जी हां, रात सर्द थी, लेकिन देश भर से आए शायरों की नजमों से माहौल गर्म था। शायर जनाब खुशबीर शाद शामिल की इस नजम ने श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी। तिराज मैनी की नजम 'गिरे किस राह पर संबल कितने याद रखते हैं, हम अपनी भूख का निवाला ही याद रखते हैं' ने भी श्रोताओं का दिल जीत लिया। मौका था, मोहन लाल भास्कर की याद में आयोजित मुशायरे का। इसके अलावा जाने-माने शायर जनाब वरुण आनंद की नजम 'कोई मिसाल नहीं है मेरी मिसाल के बाद, मैं बेखयाल हुआ तेरे ख्याल के बाद' के अलावा जनाब फैयाज फारूक़ी ने सुनाया 'घर जो भरना हो तो रिश्वत से भर जाता है, हां मगर इससे दुआओं का असर जाता है' ने भी श्रोताओं की दाद ली ।

जनाब मोईन शादाब, जनाब राजेश मोहन, जनाब वरुण आनंद, जनाब फैयाज फ़ारूक़ी, जनाब चारघ शर्मा और जनाब अमरदीप सिंह सहित अन्य कवियों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मोहन लाल भास्कर आर्ट एंड थियेटर फेस्टिवल की ओर से आयोजित एमएलबी फाउंडेशन की ओर से विवेकानंद व‌र्ल्ड स्कूल के डायरेक्टर डा. एसएन रुद्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। स्कूल के चेयरमैन गौरव सागर भास्कर ने आए हुए मेहमानों का धन्यवाद किया।

प्रभा भास्कर, पैट्रन-इन-चीफ एमएलबी फाउंडेशन, जनाब फैयाज फारूकी, आइजी (पीएपी) जालंधर, डीसी फिरोजपुर गुरपाल सिंह चहल, एसएसपी भूपिदर सिंह, एआइजी विजिलेंस लखबीर सिंह, एसडीएम फिरोजपुर अमित गुप्ता, सीए एंड चेयरमैन जेनेसिस इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंस एंड रिसर्च, फिरोजपुर के वरेंद्र मोहन सिघला, डा. कमल बागी, एमडी, अनिल बागी अस्पताल, डायरेक्टर भगवती लैक्टो प्राइवेट लिमिटेड, फिरोजपुर मोहन लाल भास्कर को श्रद्धांजलि देने के लिए दीप प्रज्ज्वलित किया।

गौरतलब है कि यह कार्यक्रम पाकिस्तान में पूर्व भारतीय जासूस मोहन लाल भास्कर की याद में आयोजित किया गया था, जिन्होंने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ एजेंट के रूप में काम करते हुए सोलह बार पाकिस्तान में घुसपैठ की, लेकिन 17वें दिन आयोजित किया गया डबल-क्रास एजेंट ने उन्हें धोखा दिया। उन्हें पाकिस्तानी अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने इसे चौदह साल के कारावास में घटा दिया और उन्हें 9 दिसंबर 1974 को शिमला समझौते के तहत वापस कर दिया गया। बाद में उन्होंने अपनी आत्मकथा में पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में अपना अनुभव सुनाया अंडर द शैडो ऑफ बेयॉनेट्स एंड बार्स ' जिसे 1989 में सांसद श्रीकांत वर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह पुस्तक दस भाषाओं में प्रकाशित हुई थी।

इस मौके पर प्रो. गुरतेज कोहरवाला, झलेश्वर भास्कर, मेहर सिंह मल, हर्ष अरोड़ा, अमरजीत सिंह भोगल, अमन देवड़ा, अजय तुली, अमित धवन, हरमीत विद्यार्थी, संतोख सिंह, शलिदर भल्ला, अंकुर गुप्ता, चरणजीत शर्मा, विपन शर्मा, परमवीर शर्मा, कुलदीप शर्मा के अलावा अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस अवसर पर आभार व्यक्त किया। --------------- दर्शन सिंह

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