आनलाइन शिक्षा के साथ छात्रों का मानसिक विकास भी जरूरी

कोरोना काल में शिक्षा के बदले प्रारूप से जहा छात्रों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है वहीं गुरु शिष्य के आमने सामने न होने से छात्रों की मानसिक दशा को समझने में भी कठिनाई हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 27 May 2021 10:14 PM (IST) Updated:Thu, 27 May 2021 10:14 PM (IST)
आनलाइन शिक्षा के साथ छात्रों का मानसिक विकास भी जरूरी
आनलाइन शिक्षा के साथ छात्रों का मानसिक विकास भी जरूरी

जतिंद्र पिंकल, फिरोजपुर : कोरोना काल में शिक्षा के बदले प्रारूप से जहा छात्रों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं गुरु शिष्य के आमने सामने न होने से छात्रों की मानसिक दशा को समझने में भी कठिनाई हो रही है। पहले बातचीत के जरिए उनकी मुश्किलों का हल हो जाता था, जो आनलाइन सिस्टम से संभव नहीं है। ऐसे में छात्रों को शारीरक व मानसिक तौर पर दृढ़ बनाना मुख्य चुनौती है। देव समाज एजुकेशन फार वूमेन कालेज की प्रिंसिपल रमनीत शारदा का कहना है कि हर हाल में इस मुश्किल से पार पाना है।

शिक्षण क्षेत्र में 25 साल से भी अधिक का अनुभव रखने वाली रमनीत शारदा ने हंसराज महाविद्यालय जालंधर में बतौर डीन के बाद प्रोमशन मिलने पर 10 नवंबर 2020 को फिरोजपुर के देव समाज कालेज एजुकेशन फार वूमेन में प्रिंसिपल की जिमेवारी संभाली है। सवाल: आफलाइन से आनलाइन शिक्षा के सफर को किस रूप में देखती हैं और छात्रों पर इसका क्या असर देखने को मिल रहा है?

जवाब: बेशक आफलाइन शिक्षा का रूप इसलिए सबसे सही माना जाता था क्योंकि गुरु व शिष्य एक दूसरे के सामने होते थे। अध्यापक शिक्षा देने के साथ ही छात्रों के चेहरों के हाव-भाव पढ़कर उनकी परेशानी को समझ लेते थे और उसका हल करने का प्रयास करते थे। इसी से छात्रों और अध्यापकों में एक साझ बन जाती थी। अब आनलाइन पढ़ाई तो जरूर हो रही है लेकिन किसी की परेशानी नहीं पता की जा सकती।

सवाल: आनलाइन शिक्षा के चलते बच्चों की मानसिक स्थिति क्या है और इसे कैसे दृढ़ बनाया जा सकता है ?

जवाब: आनलाइन शिक्षा तो दी जा रही है लेकिन पता लगा है कि घर पर बैठे बच्चे कुछ हद तक मानसिक रूप से कमजोर हो रहे हैं। ऐसे में पटियाला के एक मनोविज्ञानी की वर्कशाप (वेबिनार) से छात्रों को मोटिवेट किया जा रहा है। इसी के साथ परामर्श प्रोग्राम शुरू किया गया है, जो 21 मई से लेकर 21 जून तक चलेगा। इस प्रोग्राम में साइकोलाजिस्ट से टाइअप किया गया है। इसमें सुबह सात से 7.40 तक योगा सेशन लगाया जा रहा है। सवाल: आनलाइन शिक्षा को किस तरह से मैनेज किया जा रहा है?

--कोरोना से बचाव के लिए सबसे पहले आधा स्टाफ ही बुलाया जा रहा है, वह भी एक कमरे में करीब दो स्टाफ मेंबरों को ही बिठाया जा रहा है। वहीं छात्रों के प्रैक्टिकल भी आफलाइन लिए जा रहे हैं, ताकि पढ़ाई भी प्रभावित न हो और कोरोना से बचाव भी किया जा सके। इसके अलावा कालेज में आने वाले हर व्यक्ति के हाथ सैनिटाइज कर उनका टेंपरेचर चैक किया जाता है। सवाल: आनलाइन शिक्षा में नेटवर्क की दिक्कत सबसे बड़ी मुश्किल है। इसे कैसे हल किया जाता है ?

जवाब: आनलाइन शिक्षा में सबसे अधिक मुश्किल कई जगहों पर नेटवर्क न होने की आ रही है। इसके लिए उस जगह के छात्रों को शार्ट नोट बनाकर दिए जाते हैं, जो छात्रों के घर भेजे जाते है। सवाल: कोरोना काल में मिली प्रिसिंपल की जिम्मेवारी को कैसे निभाती हैं ?

जवाब: कोरोना संकट में प्रिंसिपल की जिम्मेवारी मिलना और उसका निर्वाह करना किसी चुनौती से कम नहीं, लेकिन कालेज स्टाफ के सहयोग से इस जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से निभाने की कोशिश कर रही हैं। शिक्षा के साथ छात्रों के मानसिक और शारीरक विकास के लिए अलग प्रयास किए जा रहे हैं।

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