पांचवें नवरात्र किया कंजन पूजन

शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन शहर व छावनी के मंदिरों में मां के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की विधि विधान से पूजा की गई व संकीर्तन आयोजित किए गए।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 10 Oct 2021 09:46 PM (IST) Updated:Sun, 10 Oct 2021 09:46 PM (IST)
पांचवें नवरात्र किया कंजन पूजन
पांचवें नवरात्र किया कंजन पूजन

संवाद सूत्र, फिरोजपुर : शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन शहर व छावनी के मंदिरों में मां के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की विधि विधान से पूजा की गई व संकीर्तन आयोजित किए गए। नवरात्र के उपलक्ष्य में सनातन धर्म मंदिर बस्ती टैंका वाली, मंदिर देवी द्वार, शीतला मंदिर, मंदिर श्री कृष्ण द्वार में संकीर्तन का आयोजन किया गया। जिसमें महिलाओं ने दुर्गा स्तुति का पाठ व माता रानी के भजन गाकर मां भगवती का गुणगान किया।

वहीं सोमवार को मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी। माना जाता है कि देवी के इसी स्वरूप ने महिषासुर का वध किया था। भागवत पुराण के अनुसार देवी के इस स्वरूप की पूजा गृहस्थ और विवाह के इच्छुक लोगों के लिए बहुत ही फलदायी है।

मंदिर श्री देवी द्वार के पुजारी अंशु शर्मा ने बताया कि महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया। महर्षि कात्यायन के नाम पर ही देवी का नाम कात्यायनी हुआ। मां कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं। यह दानवों, असुरों और पापी जीव धारियों का नाश करने वाली देवी कहलाती हैं। नवरात्र के छठे दिन लाल रंग के वस्त्र पहनें। यह रंग शक्ति का प्रतीक होता है। मां कात्यायनी को मधु यानी शहद युक्त पान बहुत पसंद है। इसे प्रसाद स्वरूप अर्पण करने से देवी अति प्रसन्न होती हैं। श्री काला माता मंदिर में पूरी होती है भक्तों की मनोकामनाएं संवाद सूत्र, फिरोजपुर : गली नंबर एक स्थित प्राचीन श्री काली माता मंदिर में महाकाली की प्रतिमा की मान्यता दूर-दूर तक फैली हुई है। प्रधान कुलभूषण गर्ग और विजय सतीजा बताते हैं कि मंदिर में काली माता की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा 1888 में हुई थी और यह मूर्ति मिट्टी से बनी हुई है।

उन्होंने बताया कि बिना किसी सहारे खड़गासन विराजमान इस प्रतिमा में कई तरह के चमत्कार हैं। पुजारी प्रदीप ने बताया कि जो भक्त 43 दिन तक श्रद्धा व विश्वास के साथ मां के दरबार में ज्योति प्रज्जवलित करके अराधना करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। कुलभूषण गर्ग ने बताया कि 11 अक्टूबर से मंदिर में शारदीय दुर्गा पूजा आरंभ होगी, जिसके तहत 11 को सायं साढे़ सात बजे आरती के दौरान 12 अक्टूबर को सुबह सप्तमी पूजा होगी और 13 को रात्रि साढे़ नौ बजे तक बलिदान पूजन व हवन यज्ञ होगा। उन्होंने कहा कि 15 को विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी।

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