हर लावारिश शव में खोजते हैं अपने बिछडे़ भाई व पिता को

जिले में 170 कोरोना संक्रमण से मरे लोगों के शवों का अंतिम संस्कार कर रहे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 05:42 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 05:42 AM (IST)
हर लावारिश शव में खोजते हैं अपने बिछडे़ भाई व पिता को
हर लावारिश शव में खोजते हैं अपने बिछडे़ भाई व पिता को

तरुण जैन, फिरोजपुर

जिले में 170 कोरोना संक्रमण से मरे लोगों के शवों का अंतिम संस्कार कर चुके रमनदीप सन्नी हर बार भगवान से दुआ मांगते हैं कि यह अंतिम संस्कार हो। वे हर शव का अंतिम संस्कार करने से पहले महामृत्युंजय मंत्र पढ़कर दिवंगत की आत्मा को शांति की कामना करते हैं। इस दौरान सन्नी धार्मिक रस्मों का भी ख्याल रखते हैं।

उन्होंने कहा कि हर मरीज में उनको अपने लापता पिता और भाई नजर आते हैं। उनके लापता होने के बाद ही वे समाज सेवा से जुड़े। सन्नी सिविल अस्पताल फिरोजपुर में वार्ड अटेंडेंट के पद पर तैनात हैं।

कोरोना काल में फिरोजपुर जिले के अलग-अलग स्थानों पर जाकर सन्नी ने अब तक 170 संक्रमित लोगों के शवों का अंतिम संस्कार के कारण उन्हें लावारिस शवो का संस्कार करने वाली फिरोजपुर वेलफेयर क्लब के डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया है।

सन्नी ने कहा वे रोज प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि अब ये कोरोना महामारी का दौर बंद हो और संसारिक प्राणियों को फिर से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें। मृतक के परिजनों को रोते नहीं देख सकते, उनकी आंखे भी नम हो जाती हैं। महामारी से अपनो को खोने का दर्द क्या होता है, वह उससे ज्यादा कोई नहीं जान सकता। सन्नी के पिता 1990 में ड्यूटी के बाद लापता हो गए थे और पिछले 13 सालों से भाई भी लापता है। सन्नी ने कहा, हर मरीज में उसको भाई और पिता नजर आते हैं।

37 वर्षीय सन्नी पिछले दो सालों से स्वास्थ्य विभाग में वार्ड अटेंडेंट के पद पर काम कर रहे हैं। पिछले साल शुरू हुए कोरोना काल के बाद से ही उनकी परिवार से दूरी बनी हुई है। कभी काल घर जाना होता है, तब भी सावधानी के चलते परिवार से दूरी रखनी पड़ती है। 13 व 10 साल की दो बेटियां व सात साल के बेटे से वैसे नहीं मिल पाए, जैसे वह साधारण दिनों में उन्हें प्यार करते थे। इस दौरान उनका वजन भी 12 किलो कम हो चुका है। रक्तदान में भी आगे

सन्नी 66 बार रक्तदान कर चुके हैं और कोविड काल में पिछले एक साल से उन्होंने रक्त नहीं दिया। वे हर तीन महीने बाद रक्त देते रहे हैं। जिस कारण उन्हें राज्य सरकार की ओर से विश्व रक्तदान दिवस पर दो बार और राष्ट्रीय स्तर पर एक एनजीओ पुरस्कृत कर चुकी है।

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