स्कूल प्रबंधन बोले: स्कूल बंद करवाए, लेकिन स्टाफ को वेतन भी दे सरकार
कोरोना महामारी से जहां हर वर्ग परेशान है तो वहीं शिक्षण संस्थानों पर भी काफी बुरा असर देखने को मिल रहा है। राज्य सरकार की ओर से 30 अप्रैल तक राज्य के सभी शिक्षण संस्थान बंद करने के निर्देश के बाद स्कूल प्रबंधक भी चिंता में है।
संवाद सूत्र, फिरोजपुर : कोरोना महामारी से जहां हर वर्ग परेशान है तो वहीं शिक्षण संस्थानों पर भी काफी बुरा असर देखने को मिल रहा है। राज्य सरकार की ओर से 30 अप्रैल तक राज्य के सभी शिक्षण संस्थान बंद करने के निर्देश के बाद स्कूल प्रबंधक भी चिंता में है। वहीं स्कूल एसोसिएशन के सदस्यो के अलावा अध्यापक, वैन संचालक सहित अन्य वर्ग स्कूल जल्द खोलने की मांग उठा रहे है।
स्कूल प्रबंधको का मानना है कि जब सरकार ने माल, सिनेमा, पार्क इत्यादि सब कुछ खोल रखा है तो स्कूलों पर पाबंदी लगाकर शिक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि छठी से ऊपर सभी कक्षाओं के विद्यार्थियो के लिए स्कूल खोले ताकि विद्यार्थी अच्छी शिक्षा हासिल कर सके। बता दें कि दसवीं व बाहरवीं के विद्यार्थियो के लिए यह समय काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन्ही दिनों में इनकी बोर्ड की परीक्षाए होती है। स्कूल प्रबंधको का मानना है कि अगर अभिभावकों की ओर से स्कूलों को फीस नही दी जाएगी तो वह अध्यापकों सहित स्कूल के अन्य खर्चे कैसे पूरे करेंगे। सरकार स्कूल खोलने पर ध्यान दे: अभिभावक
अभिभावक डा. पियूष गुप्ता, राजेश भट्ट, राकेश कुमार बब्बू ने कहा कि स्कूल बंद रहने विद्यार्थियो की पढ़ाई का काफी नुकसान हो रहा है। सरकार को चाहिए कि स्कूल खोले ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई फर्क ना आए। पिछले साल भी स्कूल बंद होने के चलते आनलाइन पढ़ाई हुई और बच्चो की एजुकेशन पर काफी प्रभाव पड़ा। जो पढ़ाई बच्चे अपने अध्यापको से फेस-टू-फेस ले सकते है, वह शिक्षा आनलाइन उपकरणो के माध्यम से हासिल नही की जा सकती। विद्यार्थियो को आनलाइन माध्यम से शिक्षा दे रहे
एसोसिएशन आफ हैड आफ रिकजनाइज्ड एंड एफिलेटिड स्कूल के कैशियर सुनीर मोंगा, ग्रामीण स्कूल्स एसोसिएशन के प्रधान नरेंद्र सिंह केसर, राकेश अरोड़ा ने कहा कि सरकार निजी स्कूलों की तरफ भी विशेष ध्यान दे। निजी स्कूलो द्वारा ही ज्यादा लोगों को रोजगार के साधन मुहैया करवा रखे है, लेकिन सरकार निजी स्कूलों के साथ भेदभाव का रवैया अपना रही है, जिसे बर्दाश्त नही किया जाएगा। सरकार ने स्कूल बंद रखने ही है तो उनके टीचिग स्टाफ को सरकार वेतन मुहैया करवाए। आखिर एडमिशन मंथ में पैरेंटस एसोसिएशन का प्रदर्शन क्यों?
बेशक सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में बेहतर सुविधाए मुहैया करवाने के अनेकों दावे किए जा रहे हो, लेकिन निजी स्कूलो में मिल रही उच्च स्तरीय शिक्षा के बलबूते ही अधिकतर अभिभावक निजी स्कूलो में बच्चो को एडमिशन करवाना ज्यादा उचित समझते है। कुछ अभिभावकों द्वारा निजी स्कूलो को फीस ना देने के नाम पर एसोसिएशन बनाकर प्रदर्शन कर दबाव बनाया जाता है और दो से तीन महीने प्रदर्शन की कार्रवाई कर बाद में रोष धीमा पड़ जाता है। निजी स्कूलो का मानना है कि जो सुविधाए वह विद्यार्थियो को मुहैया करवाते हैं और स्टॉफ को आकर्षित वेतन देते हैं, वह सब विद्यार्थियो की फीस के माध्यम से ही पूरा होता है। लेकिन कुछ पैरेंटस राजनीति चमकाने के चक्कर में एसोसिएशन बनाकर प्रदर्शन करते है।