एजुकेट सोसायटी जरूरतमंद बच्चों को कर रही एजुकेट

मैं अकेला ही चला था मंजिल की जानिब लोग जुड़ते रहे कारवां बनता गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 10:03 AM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 10:03 AM (IST)
एजुकेट सोसायटी जरूरतमंद बच्चों को कर रही एजुकेट
एजुकेट सोसायटी जरूरतमंद बच्चों को कर रही एजुकेट

जतिंद्र पिकल, फिरोजपुर : मैं अकेला ही चला था मंजिल की जानिब, लोग जुड़ते रहे कारवां बनता गया। किसी शायर की इन पंक्तियों को सच साबित कर दिखाया है फिरोजपुर निवासी नारंग भाईयों ने। भले ही मौजूदा समय में एक भाई गौरव नारंग विदेश में है, लेकिन अपने छोटे भाई सौरव के जज्बातों को पंख देने का काम बड़े ने ही किया है, जिसके चलते इन्होंने एजुकेट फिरोजपुर वेल्फेयर सोसायटी तैयार की, जोकि गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रही है।

शुरुआत मात्र एक बेटी से की गई, लेकिन धीर-धीरे समाज व देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा रखने वाले बच्चों की तलाश करते उनकी संख्या करीब 10 बच्चों तक पहुंच गई। बच्चों की पढ़ाई से लेकर उनकी फीसें व उनके कपड़ों तक का खर्चा संस्था की तरफ से किया जाने लगा। संस्था के पास कोई खास जगह नहीं थी। शहर निवासी दिशा कटियाल को जब यह पता चला तो उन्होंने बच्चों को फ्री पढ़ाने का जिम्मा उठाया, जबकि दिशा पहले से ही अपने घर में गरीब परिवारों के बच्चों को शिक्षा दे रही थी।

सोसायटी के प्रमुख सौरभ नारंग कहते हैं कि मौजूदा समय में उनकी संस्था को कई हाथों का मजबूत सहारा मिलना शुरू हो गया है, जिसके चलते एजुकेट फिरोजपुर वेलफेयर सोसायटी के नाम से सेंटर शुरू कर दिया गया है, जिसमें जगह की कोई कमी नहीं रही है और सेंटर में 27 ऐसे परिवारों के बच्चे पढ़ने आ रहे हैं, जिनके पास फीसें व पढ़ाई का खर्च करने की समर्था नहीं है। उन्होंने बताया कि बच्चों की पढ़ाई में उनकी क्लास की पढ़ाई से लेकर उनके रहन-सहन, कंप्यूटर शिक्षा के अलावा नई टेक्नोलोजी के बारे में भी ज्ञान दिया जाता है।

उन्होंने बताया कि उनके भाई गौरव के अलावा उनके दोस्त वैभव, सौरवा कामरा, दीपक, गौरव ग्रोवर व गौरव अरोड़ा के अलावा कई और हाथ उनकी संस्था को थामने के लिए उनके साथ जुड़ चुके है। वहीं मंयक फाउंडेशन की तरफ से सोसायटी को एक कंप्यूटर भी भेंट किया गया है। बच्चों को पढ़ाकर मिलता है मन को सुकुन: दिशा कटियाल

एस सेंटर में बच्चों को शिक्षा दे रही दिशा कटियाल का कहना है कि वह पिछले कई सालों से बच्चों को घर पर ही शिक्षा दे रही है, वहीं अब सेंटर में भी उनका यही काम है, जिससे उनके मन को काफी सुकुन मिलता है। मौजूदा समय में उनके पास करीब 26-27 बच्चे है जिनमें 14 लड़के व 13 लड़कियां है। इनमें फ‌र्स्ट से लेकर प्लस टू तक के बच्चे शामिल है। इसके अलावा सेंटर में कंप्यूटर शिक्षा के लिए अलग से रूम बनाया गया है।

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