डाक्टरों ने बनाई अपनी पर्चियां, 229 मरीज देखे
सिविल अस्पताल में शनिवार को भी डाक्टर्स अपने कमरों में नहीं बैठे। ओपीडी बंद रही और मरीजों की पर्चियां खुद डाक्टरों ने बनाई।
संवाद सूत्र. फिरोजपुर: सिविल अस्पताल में शनिवार को भी डाक्टर्स अपने कमरों में नहीं बैठे। ओपीडी बंद रही और मरीजों की पर्चियां खुद डाक्टरों ने बनाई। छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट के विरोध में डाक्टरो ने कहा अभी तक तो डाक्टर काम कर रहे हैं लेकिन अगर सरकार नहीं सुनती तो सोमवार को सभी सेवाएं बंद रखेंगे और मरीजों की जांच नहीं होगी।
डाक्टरों की नाराजगी के बावजूद शनिवार को सरकारी नौकरी के लिए 16 उम्मीदवारों के मेडिकल किए गए। इसके अलावा 24 एक्सरे , 42 टेस्ट और तीन आपरेशन किए गए। शनिवार को भी मरीजों की संख्या ठीक रही। डाक्टरो ने एक साथ ओपीडी बनाते हुए 229 मरीजों की जांच की। डाक्टर्स एसोसिएशन के प्रधान जतिदर कोछड़ ने कहा कि शनिवार को भी डाक्टर्स ने अपनी ड्यूटी निभाई और मरीजों को बिना तकलीफ के देखा। अगर सरकार डाक्टर्स एसोसिएशन से बातचीत नहीं करती तो सोमवार को कंप्लीट काम बंद रखा जाएगा। सरकार छठा वेतन आयोग लागू कर डाक्टर्स के साथ सरकारी मुलाजिमों से धोखा कर रही है। आयोग की रिपोर्ट में डाक्टरों का एनपीए अलग कर दिया गया, जिससे पेंशन में कटौती होगी।
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..ओपीडी बंद कराई
विरोध जता रहे डाक्टरो ने मरीजों को खुद पर्ची देते हुए ओपीडी बंद करवा दी। ओपीडी बंद होने से मरीज असमंजस में रहे, लेकिन एक जगह पर सभी डाक्टरों को देख मरीज जांच के लिए कमरे में पहुंचे तो डाक्टरों ने वहीं उनकी रिकार्ड में एंट्री की। मरीजों को दवाएं देते हुए डाक्टरों ने फार्मेसी का काम भी खुद संभाला।
सरकारी अस्पताल से रोजाना बैरंग लौट रहे मरीज छठे वेतन आयोग के विरोध में डाक्टरों की हड़ताल के कारण रोजाना ही सरकारी अस्पताल से सैकड़ों मरीजों को बिना दवा व जांच के निराश हो लौटना पड़ रहा है। सरकारी अस्पताल में रोजाना 300 से 400 के करीब ओपीडी रहती है। कई दिनों से चल रही डाक्टरों की हड़ताल के कारण भले ही मरीज अस्पताल में कम ही आ रहे हैं, लेकिन जो आ रहे हैं, उनको भी बैरंग ही लौटना पड़ रहा है। डाक्टरों ने अपने कैबिन के बाहर पोस्टर लिखकर लगा रखा है कि हड़ताल के कारण मरीज नहीं देखे जाएंगे। दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने के लिए इधर-उधर भटकते रहे हैं। वहीं कई महिलाएं व पुरुष आपरेशन के लिए डाक्टर से उपचार करवाने के अस्पताल आए, लेकिन हड़ताल के चलते उन्हें भी बैरंग लौटना पड़ा।