डाक्टरों को तरस रहा फिरोजपुर का सरकारी अस्पताल

जिले पीजीआइ बनने का सपना कब पूरा होगा यह अभी नहीं कहा जा सकता। लेकिन फिरोजपुर का सिविल अस्पताल माहिर विशेषज्ञों खासकर स्पेशलिस्ट आर्थो और जरनल सर्जरी के विशेषज्ञों की तैनाती को तरस रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 11 Feb 2021 10:49 AM (IST) Updated:Thu, 11 Feb 2021 10:49 AM (IST)
डाक्टरों को तरस रहा फिरोजपुर का सरकारी अस्पताल
डाक्टरों को तरस रहा फिरोजपुर का सरकारी अस्पताल

दर्शन सिंह, फिरोजपुर : जिले पीजीआइ बनने का सपना कब पूरा होगा, यह अभी नहीं कहा जा सकता। लेकिन फिरोजपुर का सिविल अस्पताल माहिर विशेषज्ञों खासकर स्पेशलिस्ट, आर्थो और जरनल सर्जरी के विशेषज्ञों की तैनाती को तरस रहा है। बिना डाक्टरो के चल रहे सरकारी अस्पताल से इंसान कैसे सेहतमंद होगा इसका जवाब प्रबंधकों के पास भी नहीं है।

अस्पताल में आंखों के माहिर डाक्टर का पद पिछले चार माह से खाली है। लेकिन वहां डाक्टर की तैनाती न किए जाने के कारण स्टेट आई अस्पताल में आंखों का इलाज करवाने वाले मरीजों को फरीदकोट रेफर किया जा रहा है। वहीं सिविल सर्जन डाक्टरों की कमी पर कहते हैं कि सरकार से डाक्टर्स की मांग की गई, कब पूरी होगी ये नही बताया जा सकता।

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में शुमार फिरोजपुर शहर के सरकारी अस्पताल में करीब आठ माह से सर्जन का पद खाली पड़ा है। सड़क दुर्घटना हादसों में हड्डियां फ्रेक्चर के मरीजों को यह कहकर फरीदकोट रेफर किया जा रहा है कि अस्पताल में सर्जन ही नहीं है। डाक्टरों की कमी का सबसे ज्यादा खामियाजा भारत सरकार की आयुष्मान योजना के कार्ड धारकों को भुगतना पड़ रहा है, जिन्हें ज्यादातर फरीदकोट मेडिकल कालेज के लिए रेफर किया जा रहा है। योजना के तहत शहर के आठ निजी अस्पताल इलाज करवाने के लिए मंजूरशुदा हैं, लेकिन वहां पर बीते कुछ दिनों से मरीजों को इलाज के लिए मंजूरी नही दी जा रही । एनेथिसिया का डाक्टर भी छह माह की छुट्टी पर

सूत्रों के अनुसार करीब डेढ़ साल से आर्थो माहिर का पद खाली पड़ा है। अस्पताल में अस्थायी रूप से डा.जजबीर की तैनाती है। लेकिन वह सिर्फ ओपीडी ही करते हैं न कि आपरेशन, जबकि सिविल अस्पताल में आंखों के माहिर डा. इंदू खोसा के बाद से ये पद खाली है और जो डाक्टर देवेंद्र पाल सिंह चार माह पहले इलाज करता था वे त्यागपत्र दे गए। इसके अलावा एनेथिसिया का डाक्टर भी छह माह की छुट्टी पर होने के कारण सर्जरी के केस बहुत कम हो रहे हैं। गायनी सर्जरी के लिए डाक्टर हायर कर रहे हैं। पैथोलोजी का पद भी रिक्त होने के लिए कई बार बड़े टेस्टों की जांच के लिए रोगियों को प्राइवेट लैबोरेटरी का रुख कर बड़ी रकम खर्च करनी पड़ रही है। अधिकारियों को लिखा गया है। सिविल सर्जन

सिविल सर्जन राजेंद्र राज ने कहा कि डाक्टरों की कमी से मुख्य सिविल अस्पताल जूझ रहा है और यहां डाक्टरों की तैनाती के लिए सेक्रेटरी हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर चंडीगढ़ को लिखकर हर माह भेजते हैं ,लेकिन डाक्टों की तैनाती उनके स्तर पर होनी है न कि जिला लेवल पर।

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