स्तनपान मां व शिशु दोनों के लिए लाभकारी : डा. एकांत
मां का दूध छह माह तक के शिशु के लिए जरूरी है। फिरोजपुर शहर की गायनाकालोजिस्ट डा. एकांत ने कहा कि प्रसव के बाद मां का दूध शिशु को जरूरी पौषक देने के साथ साथ रोगों से लड़ने की शक्ति देता है।
संवाद सहयोगी, फिरोजपुर : मां का दूध छह माह तक के शिशु के लिए जरूरी है। फिरोजपुर शहर की गायनाकालोजिस्ट डा. एकांत ने कहा कि प्रसव के बाद मां का दूध शिशु को जरूरी पौषक देने के साथ साथ रोगों से लड़ने की शक्ति देता है।
डा. एकांत ने कहा कि मां का दूध का असर बच्चे के शरीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है। मां का दूध शिशु में अचानक शिशु मृत्यु सिड्रोम के खतरे से बचाता है। मां के दूध में मौजूद प्रोटीन, कैलिशयम, फैट, विटामिन, काबोर्हाईड्रेट जैसे तत्व शिशु के शारीरिक विकास में मदद करते हैं। इससे बच्चों की हड्ड़यिां मजबूत होती हैं और आगे चलकर बच्चे की दृष्टि भी तेज होती है । डा. एकांत ने बताया कि स्तनपान करने से बच्चे का पाचन तंत्र भी स्वस्थ रहता है । बच्चे के लिए मां का दूध एंटीबाडिज का काम भी करता है ।
डॉ एकांत ने बताया कि स्तनपान कराने से मां को गर्भाश्य, स्तन और अंडाशय के कैंसर होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। गर्भावस्था में मां का जो वजन बढ़ जाता है। स्तनपान कराने से संतुलित हो जाता है। प्रसव के तुरंत बाद अगर मां स्तनपान करवाती है तो उसके शरीर से ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन रिलीज होता है जो प्रसव के बाद अत्यधिक रक्स्त्राव की आशंका को कम कर देता है। स्तनपान कराने से गर्भाशय को अपने पूर्व आकार में आने में मदद मिलती है। मां का दूध बच्चों के लिए अमृत : डा. साहब राम संस, अबोहर : सरकारी अस्पताल के एसएमओ गगनदीप सिंह के निर्देशों पर व डा. साहब राम के मार्गदर्शन में अस्पताल के पीपी यूनिट में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया गया। इस मौके पर मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने बच्चों को दूध पिलाने वाली माताओं को स्तनपान के महत्व की जानकारी दी।
इस दौरान एएनएम और आशा वर्करों को डा. साहब राम ने कहा कि मां के दूध में एंटीबाडी होते हैं जो बच्चे को वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। इसके अलावा, जिन शिशुओं को पहले छह महीनों तक बिना किसी ऊपरी आहार या फार्मूले के विशेष रूप से ब्रेस्टफीडिग कराई जाती है, उनमें कान में संक्रमण, श्वसन संबंधी बीमारियां और दस्त के लक्षण कम होते हैं। इसके अलावा, यह अनुमान लगाया गया है कि ब्रेस्टफीडिग से हर साल ब्रेस्ट कैंसर के कारण होने वाली लगभग 20,000 माताओं की मृत्यु को रोका जा सकता है। उन्होंने सभी एएनएम को निर्देश दिए कि वे आशा वर्करों को घर घर जाकर महिलाओं को ब्रेस्ट फीडिग के लिए जागरूक करें।