शिक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा बुक बैंक
जरूरतमंदों की मदद के साथ पर्यावरण संरक्षण भले ही कुछ अटपटा सा लगता है लेकिन शहर की एंटी क्राइम एंटी नारकोटिक्स विग के बुक बैंक की ओर से चार साल से जहां जरूरतमंद बच्चों को निश्शुल्क किताबें मुहैया करवाई जा रही हैं
जतिंद्र पिकल, फिरोजपुर : जरूरतमंदों की मदद के साथ पर्यावरण संरक्षण भले ही कुछ अटपटा सा लगता है, लेकिन शहर की एंटी क्राइम एंटी नारकोटिक्स विग के बुक बैंक की ओर से चार साल से जहां जरूरतमंद बच्चों को निश्शुल्क किताबें मुहैया करवाई जा रही हैं, वहीं पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दिया जा रहा है।
बुक बैंक में पहली से लेकर बाहरवीं कक्षा तक की किताबें है। बुक बैंक के पदाधिकारी व मेंबर बच्चों से पुरानी किताबें इकट्ठा करते हैं, जिन्हें जरूरतमंद बच्चों को दिया जाता है। एक तरफ जहां इन बच्चों की मदद होती है वहीं पुरानी किताबें के इस्तेमाल पर पर्यावरण बचाने में भी मददगार साबित हो रहा है। बुक बैंक फिरोजपुर के पदाधिकारियों ने फेसबुक व व्हाटसएप पर लोगों को अपील करने का अभियान भी शुरू किया है ताकि अपनी किताबें रद्दी में न देकर बुक बैंक में दी जाए और इसे जरूरमंद बच्चा इस्तेमाल कर सके।
25 किताबें बनाने के लिए काटना पड़ता है एक पेड़ : सूरज मेहता
बुक बैंक के इंचार्ज सूरज मेहता ने बताया कि पुरानी किताबें लेकर उन्हें सिलेबस के हिसाब से किसी भी जरूरतमंद बच्चे को देने से जहां बच्चे को शिक्षा मिलती है, वहीं पर्यावरण बचाने का एक छोटा सा प्रयास भी है। मेहता ने कहा 25 किताबें बनाने में एक पेड़ काटना पड़ता है, जबकि समय की मांग है कि इस बात को समझा जाए कि एक टन कागज बनाने में लगभग तीन टन पेड़ों को काटना पड़ता है। कागज बनाने से उच्च स्तर का वायु और जल प्रदुषण भी होता है। पुरानी किताबों के इस्तेमाल से पेड़ों को काटने से बचाया जा सकता है। हर साल न बदला जाए सिलेबस : गुलाटी
बुक बैंक के चैयरमेन संदीप गुलाटी ने कहा पुरानी किताबों के फिर से प्रचलन में लाने की सख्त जरूरत है। स्कूलों को भी चाहिए कि प्रत्येक वर्ष कक्षाओं के सिलेबस न बदलें ताकि पुरानी किताबों को ही जरूरमंद बच्चे तक पहुंचाया जा सके। पुस्तकों के लिए विशेष डिब्बे या कंटेनर बनाकर स्कूलों में रखे जाने चाहिए।