पौने पांच वर्ष में फिरोजपुर में स्थापित नहीं हो पाया बड़ा उद्योग

कांग्रेस सरकार का पौने पांच साल का कार्यकाल बीत जाने के बाद भी शहीदों के शहर में कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं हो पाया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 09:50 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 09:50 PM (IST)
पौने पांच वर्ष में फिरोजपुर में स्थापित नहीं हो पाया बड़ा उद्योग
पौने पांच वर्ष में फिरोजपुर में स्थापित नहीं हो पाया बड़ा उद्योग

दर्शन सिंह,सुभाष आनंद,फिरोजपुर

कांग्रेस सरकार का पौने पांच साल का कार्यकाल बीत जाने के बाद भी शहीदों के शहर में कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं हो पाया है। विकास भी पार्कों और जिम लगाने तक ही सीमित रहा और पीजीआइ प्रोजेक्ट के बारे में अभी लोगों को इंतजार करना होगा। सत्ता में आने वाली हरेक सरकार ने फिरोजपुर जिले में विकास के अनेक दावे किए लेकिन बार्डर एरिया होने के कारण यहां के लोगों को बड़ी फैक्ट्री भी नसीब नही हो पाई। रोजगार मेले स्थापित कर सरकार ने लोगों को भरमाने का जो प्रयास किया वे भी बेरोजगारों को रोजगार पूर्ण रूप से मुहैया नही करवा पाई। निजी कंपनियों में रोजगार भी कम ही पढ़े लिखे युवाओं को मिल पाया है। रही बात फिरोजपुर के छोटे प्रोजेक्ट जो चालू होने के बाद से ही लुप्त हो चुके है। शहर की सुंदरता को बढ़ाने के लिए समय-समय पर आने वाले जिला उपायुक्तों ने प्रयास जरूर किए लेकिन उनके बदलने के बाद के बाद वे प्रोजेक्ट कामयाब नही हो सके।

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शहीद ऊधम सिंह चौक के फव्वारे, लाइटें बंद

सितंबर 2015 के दौरान शहीद ऊधम सिंह चौक की कायाकल्प करते हुए लाखों रुपये खर्च कर रंगीन फव्वारे और साउंड सिस्टम लगाया था लेकिन वे कुछ माह चलने के बाद बंद हो गए। बिजली के बिल का भुगतान न होने और अन्य कारणों के चलते शहरवासियों छह वर्षो के बाद भी वे रंगीन नजारा देखने को नही मिल पाया। पूर्व डिप्टी कमिश्नर डीपीएस खरबंदा के समय यानी 2015 के दौरान अमृत योजना के लाइटें लगवाई थी, लेकिन वे भी अब गायब हो चुकी है। सड़कों के फुटपाथ पर लगे लैंप और खजूर के पेड़ भी गायब हो चुके हैं। इस सारी व्यवस्था की जिम्मेदारी किस की थी इस पर किसी ने अभी तक मंथन नही किया। मार्च 2016 के दौरान चार करोड़ की लागत से 9500 स्क्वेयर फुट जगह पर कौंसिल कार्यालय में बनने वाले शहीदों के नाम पर आडिटोरियम (हाल) का शिलान्यास से पर्दा हटाया गया था,लेकिन पांच साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी इस हाल का निर्माण शुरू नही हो सका। पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने 8 माह के भीतर बनने का दावा किया गया था।

लापरवाही के चलते खत्म हुए प्रोजेक्ट

एनजीओ संस्था के पदाधिकारी कहते हैं कि शहर को सुंदर रूप देने के लिए चालू किये छोटे प्रोजेक्ट कौंसिल और प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते खत्म हो चुके हैं। इस संबंध में डिप्टी कमिश्नर दविदर सिंह से बात नहीं हो सकी। वहीं नगर कौंसिल के ईओ गुरदास सिंह ने कहा कि ये प्रोजेक्ट उनके आने से पहले के हैं और उनके बारे में अनजान है। इस संबंध में जेई लवप्रीत ही बता सकते हैं।

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