500 दिन बाद बागबान फिर गुलजार

राज्य का पहला डे-केयर सेंटर जिसे पहले ओल्ड एज होम के नाम से जाना जाता था जबकि मौजूदा समय में जिसे बागबान के नाम से पुकारा जाता है जो करीब 500 दिन के बाद सीनियर सिटीजन के हंसने की आवाजों से फिर से गुलजार हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 10:12 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 10:12 PM (IST)
500 दिन बाद बागबान फिर गुलजार
500 दिन बाद बागबान फिर गुलजार

जतिंद्र पिकल, फिरोजपुर : राज्य का पहला डे-केयर सेंटर, जिसे पहले ओल्ड एज होम के नाम से जाना जाता था, जबकि मौजूदा समय में जिसे बागबान के नाम से पुकारा जाता है, जो करीब 500 दिन के बाद सीनियर सिटीजन के हंसने की आवाजों से फिर से गुलजार हो गया है।

कोरोना के चलते 22 मार्च को लाकडाउन लगाया गया था तो सब घरों में कैद होने को मजबूर हो गए थे। लेकिन जैसे ही वेक्सीनेशन व नियमों के पालन के कारण हालात सामान्य होने लगे तो धीरे-धीरे सरकार की तरफ से कुछेक जरूरी नियमों को साथ संस्थान खुलने की अनुमति मिलने लगी। शहर के मक्खु गेट के पास बने बागबान में सीनियर सिटीजन करीब 250 से अधिक मेंबर है, जिनमें रिटायर्ड बुजुर्गो से लेकर व्यवसायी भी शामिल है। उनकी सेहत व एतियहात के तौर पर हालात सामान्य होने के बावजूद बागबान को फिर भी खोलने का रिस्क नही लिया गया, जिसके चलते सभी बुजुर्गो को कौंसिल के प्रधान व अन्य मेंबरों की ओर से इंटरनेट मीडिया पर जागरूक किया गया। अब जबकि हालात काफी हद तक ठीक हो गए हैं। ऐसे में सभी सिटीजन से विचार करने के बाद करीब 500 दिन के बाद रविवार को हासियां दा पिटारा नाम पर पहला प्रोग्राम आयोजित किया गया, जिसमें करीब 30 से अधिक मेंबरों ने हिस्सा लिया। इस प्रोग्राम में सीनियर सिटीजन की तरफ से चुटकले, कविताएं, गीत गजलें व अन्य हसीं मजाक के जरिये एक दुसरे का मनोरंजन किया गया।

बागबान में सीनियर सिटीजन कौंसिल के अध्यक्ष पीडी शर्मा ने बताया कि बेशक कोरोना के कारण सबको घरों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन हालात सामान्य होने से जिदगी दोबारा पटरी पर दौडऩे लगी है। उन्होंने बताया कि इतने लंबे अंतराल के बाद सीनियर सिटीजन के इकट्ठे होने का अहसास काफी सुखद रहा। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे पहले की तरह ही सभी मेंबर आने लगेंगे। लेकिन हालात सही रखने के लिए हम सबको बनाए नियमों का पालन करना होगा।

chat bot
आपका साथी