बैडमिटन में लगातार तीन साल से चैंपियन बन रही 11 वर्षीय स्नोई

पूत के पांव पालने में नजर आते है। बैडमिटन कोट में बिजली से भी तेज रफ्तार से खेलने वाली स्नोई को देखकर सभी दांतों तले अंगुलिया दबा लेते है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Dec 2020 07:14 PM (IST) Updated:Mon, 21 Dec 2020 07:14 PM (IST)
बैडमिटन में लगातार तीन साल से चैंपियन बन रही 11 वर्षीय स्नोई
बैडमिटन में लगातार तीन साल से चैंपियन बन रही 11 वर्षीय स्नोई

संवाद सूत्र, फिरोजपुर : पूत के पांव पालने में नजर आते है। बैडमिटन कोट में बिजली से भी तेज रफ्तार से खेलने वाली स्नोई को देखकर सभी दांतों तले अंगुलिया दबा लेते है। मात्र 11 वर्ष की आयु में वह सैंकड़ो ट्राफिया व मेडल अपने नाम कर चुकी है। दास एंड ब्राऊन व‌र्ल्ड स्कूल में छट्टी कक्षा की छात्रा स्नोई गौस्वामी ने मयंक शर्मा बैडमिटन चैंपियनशिप में इतिहास रचते हुए अंडर-13 में गोल्ड मेडल जीतने के अलावा सिल्वर मेडल पर भी कब्जा जमाया है।

फाऊंडेशन के पदाधिकारी दीपक शर्मा ने कहा कि जब उन्होंने पहली बार 2018 में चैंपियनशिप करवाई थी तो स्नोई जम्मू से खेलने आई थी और वह चैंपियन बनी थी। उसके बाद उसके अभिभावक फिरोजपुर में शिफ्ट हो गए और हर टूर्नामैंट में स्नोई रिकार्ड तोड् जीत हासिल करती है।

वह अपने 16 वर्षीय भाई ऐश गोस्वामी के साथ मिलकर राष्ट्रीय व क्षेत्र स्तरीय प्रतिस्पर्धाओ में हिस्सा लेकर जीत चुकी है। उसके पिता रमन गोस्वामी स्वयं बैडमिटन के कोच है और बचपन से ही अपनी बेटी को बैडमिटन की कोचिग देकर उसे अंतराष्ट्रीय स्तर पर बढिय़ा खिलाड़ी बनाना चाहते है। उन्होनें बताया कि दास एंड ब्राऊन स्कूल में शिक्षा के साथ-साथ खेलो के क्षेत्र में विद्यार्थियों को जो सुविधाएं मिल रही है, उन्हें देखकर ही उन्होनें अपनी बेटी को यहां दाखिल करवाया है। स्नोई गोस्वामी भारतीय बैडमिटन खिलाड़ी पी.वी. सिधू को अपना आदर्श मानती है तथा उसकी भांति राष्‌र्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करना चाहती है।

स्नोई का खेलो में अच्छा प्रदर्शन देख जम्मू के डीजीपी भी प्रभावित हो चुके है और पुलिस विभाग के माध्यम से उसे स्पांसर करने का ऐलान किया था। खेलो के अलावा स्नोई पढऩे में भी सबसे तेज है। अपने भाई के साथ खेलने वाली स्नोई देश का नाम विश्वभर में खेलो के माध्यम से चमकाना चाहती है। उसकी माता सोनिया गोस्वामी भी बैडमिटन की प्लेयर है। स्नोई बताती है कि वह राष्ट्रीय व अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर खेलकर अपने देश, माता-पिता व स्कूल का नाम रोशन करना चाहती है।

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