पेंटिंग से स्वच्छता का संदेश दे रही युवाओं की टीम
कहते हैं कि अगर किसी कार्य को मेहनत से सफल बनाने की कोशिश की जाए तो वह कोशिश कभी बेकार नहीं जाती। कुछ इसी तरह का प्रयास पिछले कई सालों से फाजिल्का का एक परिवार कर रहा है।
मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का : कहते हैं कि अगर किसी कार्य को मेहनत से सफल बनाने की कोशिश की जाए तो वह कोशिश कभी बेकार नहीं जाती। कुछ इसी तरह का प्रयास पिछले कई सालों से फाजिल्का का एक परिवार कर रहा है। वहीं अब इस परिवार को नौजवान समाजसेवी संस्था का भी साथ मिल गया है, जिसके चलते उक्त परिवार संस्था के साथ मिलकर शहर को पेटिग के जरिए सुंदर बनाने में जुटा हुआ है। अब तक उक्त परिवार जिले में कई दीवारों व पेड़ों पर पेंटिग कर स्वच्छता का संदेश दे चुका है। उक्त परिवार से जुड़े सदस्य नई आबादी निवासी लक्ष्मण दोस्त ने बताया कि उनके परिवार व अन्य साथियों की ओर से अपने अभियान का नाम बंगला द ब्यूटीफुल सिटी रखा गया है, जिसके तहत पिछले कई सालों से शहर को पेंटिग के जरिए सुंदर बनाने का अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत शहर व जिले की विभिन्न जगहों को सुंदर बनाना ही उनका मुख्य उद्देश्य है। इसकी पूर्ति के लिए जहां भी पेंटिग की जाते है, वहां के संचालकों से केवल पेंट व सामान लिया जाता है। पहले उनकी टीम में संतोष चौधरी, राज कुमारी, तमन्ना कंबो, कोईना आदि शामिल रही, जबकि अब नौजवान समाजसेवी संस्था के संस्थापक लवली वाल्मीकि, विजय परवाना, रिकू शिवलानिया, गुप्तु कुमार व उनकी टीम द्वारा सहयोग दिया जाता है।
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इस स्थानों को बनाया गया सुंदर
लछमण दोस्त के अनुसार दो साल पहले सादकी बार्डर पर लगे वृक्षों को पेंटिग के जरिए सुंदर बनाया गया, जिसमें तनेजा परिवार ने काफी सहयोग दिया, जबकि कोरोना के कारण पिछले दो साल से बार्डर पर कोई अभियान नहीं चलाया गया। इसके अलावा फाजिल्का के सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल की दीवार, लमोचढ़ कलां के सरकारी स्कूल के पेड़, जंडवाला भीमेशाह के सरकारी स्कूल दीवार और पेड़, गांव मुहार जमशेर की दीवार और पेड़, डीसी डीएवी स्कूल के निकट बनी नानक बगीची की दीवार पर, न्यू गांधी नगर के पार्क में पेड़ और दीवारों पर पेंटिग, संजीव सिनेमा के साथ बने स्कूल की दीवार पर पेंटिग की गई है। पेड़ों पर इसलिए किया जा रहा पेंट
लछमण दोस्त ने बताया कि अकसर ही लोग पेड़ों के निकट गंदगी फेंक जाते थे, जिसके चलते उन्होंने उनकी बेटी तमन्ना के कहने पर जहां जहां गंदगी फेंकी जाती थी, वहां पेड़ों को सुंदर दिखाने के लिए पेंट करवाया गया, लेकिन लोगों ने पेड़ के निकट वाली जगहों को छोड़कर बिजली के खंभों के निकट कचरा फेंकना शुरू कर दिया, जिसके चलते उन्होंने खंबों को भी पेंट करवा दिया। इसके बाद लोगों ने पेड़ों व बिजली के खंबों के निकट कूड़ा फेंकना बंद कर दिया।