दो नेत्रहीनों की जिंदगियां रोशन करेंगी खुशी की आंखें

शहर की सिविल लाइंस में रहने वाली बच्ची जोकि बीते दिनों बारूथम से गिरकर जख्मी तो हो गई लेकिन डाक्टरों के द्वारा किए ईलाज के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सकता।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Nov 2021 10:56 PM (IST) Updated:Thu, 25 Nov 2021 10:56 PM (IST)
दो नेत्रहीनों की जिंदगियां रोशन करेंगी खुशी की आंखें
दो नेत्रहीनों की जिंदगियां रोशन करेंगी खुशी की आंखें

संवाद सूत्र, फाजिल्का : शहर की सिविल लाइंस में रहने वाली बच्ची जोकि बीते दिनों बारूथम से गिरकर जख्मी तो हो गई, लेकिन डाक्टरों के द्वारा किए ईलाज के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सकता। भले ही आज 12 वर्षीय बच्ची खुशी हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसके नेत्रों ने दो नेत्रहीनों के जीवन को उजाला कर दिया है।

खुशी बब्बर की मृत्यु के बाद परिवार काफी गम में था, लेकिन इसके बावजूद खुशी के पिता लेक्चरर पवन बब्बर, उनकी पत्नी ऋतु बब्बर व 18 वर्षीय बेटे अभी बब्बर ने बहुत ही धीरज, हिम्मत और हौंसले का परिचय देते हुए अपने परिवार की नन्ही बच्ची के नेत्रदान करने की इच्छा जताई। समाजसेवी संस्था सोशल वेलफेयर सोसायटी, जोकि गत 14 साल से नेत्रदान करवा रही है के अध्यक्ष शशिकांत को कोरोना काल के 625 दिन के अंतराल के बाद बब्बर परिवार के संबंधी संदीप खुराना ने बच्ची के नेत्रदान के लिए संपंर्क किया। सोशल वेलफेयर सोसाइटी की टीम जिसमें नेत्रदान प्रोजेक्ट चेयरमैन रवि जुनेजा, सोशल मीडिया इंचार्ज संदीप अनेजा, मीडिया सचिव राकेश गिल्होत्रा, उपाध्यक्ष विजय सिगला तथा मेडीकल प्रोजैक्ट चेयरमैन सुनील सेठी, अविनाश सचदेवा, वरिष्ठ सदस्य कृष्ण शांत ने तुरंत बालिका खुशी बब्बर के नेत्रदान करवाए। पुनर्जोत संस्था के आई बैंक प्रभारी रछपाल सिंह ने बब्बर परिवार तथा सोशल वेलफेयर सोसाइटी के सदस्यों की प्रशंसा करते हुए पंजाब के सभी समाजसेवी संस्थाओं से एक बार फिर अनुरोध किया है कि वह नेत्रदान के प्रोजेक्ट को गति दें क्योंकि कोरोना के संक्रमण में नेत्रदान में उल्लेखनीय कमी आई है। 432वीं नेत्रदानी बनी खुशी बच्ची के नेत्रों का कोर्नियां सर्वोत्तम 'ए' ग्रेड का था, जिसे सोसाइटी की टीम ने तुरंत विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से मान्यता प्राप्त पुनर्जोत आई बैंक सोसायटी लुधियाना में पहुंचाया। इस प्रकार खुशी सोशल वेलफेयर सोसाइटी की 432वीं नेत्रदानी बनी और उसके नेत्र दो परिवारों की खुशी का बड़ा कारण बने। पुनर्जोत के डायरेक्टर डा. रमेश ने सोसायटी के अध्यक्ष को सूचित किया कि बालिका खुशी के नेत्रदान से प्राप्त कोर्निया दो युवा नेत्रहीनों को लगाया जा रहा है, जिससे उनके जीवन में रोशनी होंगी

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